बेंगलुरु की एक अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा और तीन सह-आरोपियों को एक नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले में मंगलवार को समन जारी किया. अदालत ने सभी चार आरोपियों को दो दिसंबर को पेश होने का निर्देश दिया है. इससे पहले, बीते बृहस्पतिवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम के तहत दर्ज मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया था.
आवश्यकता पड़ने पर तलब किया जा सकता है
हालांकि, उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि मुकदमे के दौरान जब तक अत्यंत आवश्यक न हो, येदियुरप्पा की व्यक्तिगत उपस्थिति पर जोर नहीं दिया जाना चाहिए. अदालत ने यह भी कहा कि उनकी ओर से व्यक्तिगत उपस्थिति में छूट के लिए दायर किसी भी याचिका पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाना चाहिए, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर उन्हें तलब किया जा सकता है.
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि येदियुरप्पा अधीनस्थ अदालत से राहत के अनुरोध के लिए स्वतंत्र हैं.
मामले में कब क्या हुआ?
सदाशिवनगर पुलिस ने 14 मार्च 2024 को मामला दर्ज किया था, जिसे बाद में अपराध जांच विभाग (सीआईडी) को सौंप दिया गया. सीआईडी ने पुनः प्राथमिकी दर्ज करने के बाद विस्तृत जांच की और पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया.
जून 2024 में, सीआईडी ने येदियुरप्पा और तीन सह-आरोपियों के खिलाफ 750 से अधिक पन्नों का विस्तृत आरोपपत्र दाखिल किया, जिसमें यौन उत्पीड़न, सबूत नष्ट करने और मामले को दबाने की कोशिश करने के आरोप शामिल हैं.
पीड़िता और उसकी मां दोनों ने मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान दर्ज कराए थे. लड़की की मां का 26 मई 2024 को निधन हो गया.
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