दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र को सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी पर 66 करोड़ रुपये से अधिक जुर्माना लगाने के मामले में आगे कदम उठाने से मना किया है. कंपनी पर यह जुर्माना छत्तीसगढ़ में कोयला खदान के लिये तय कार्यक्रम के अनुसार उत्पादन करने में कथित तौर पर विफल होने के लिए लगाया गया है. न्यायाधीश यशवंत वर्मा ने आदेश को चुनौती देने वाली एनटीपीसी की याचिका पर केद्र सरकार को नोटिस जारी किया और 10 दिन के भीतर जवाब देने को कहा है.
अदालत ने कहा कि मामले में विचार करने की जरूरत है. जिस कार्रवाई को चुनौती दी गयी है, वह एक सरकारी कंपनी के खिलाफ है और संबंधित प्राधिकरण ने रखी गयी दलीलों को खारिज करने के पीछे कोई कारण नहीं दिये हैं. अदालत ने आठ जुलाई के अपने आदेश में कहा, ‘‘...केंद्र मामले में 10 दिनों के भीतर जवाब दे. उसके बाद याचिकाकर्ता के पास जवाबी हलफनामा देने के लिये 48 घंटे का समय होगा.''
न्यायाधीश ने अपने निर्देश में कहा, ‘‘मामले की अगली सुनवाई तक प्रतिवादी को मामले में कोई कदम उठाने को लेकर पाबंदी रहेगी.'' एनटीपीसी ने अपनी याचिका में कहा है कि केंद्र ने जमीनी हकीकत पर गौर नहीं किया जिसके कारण छत्तीसगढ़ में तलाईपल्ली कोयला खदान में उत्पादन प्रभावित हुआ और जांच समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया. उसके बाद छह जुलाई, 2022 को आदेश जारी कर 66,01,42,080 रुपये का जुर्माना लगाया. यह जुर्माना वित्त वर्ष 2019-20 और 2020-21 के लिये उत्पादन कार्यक्रम का अनुपालन नहीं करने को लेकर लगाया गया है.
याचिका में कहा गया है, ‘‘यह निर्णय (केंद्र का) जमीनी स्तर पर एनटीपीसी के समक्ष कठिनाइयों पर गौर किये बिना किया गया है. तय कार्यक्रम के अनुसार उत्पादन नहीं होने के वे कारण हैं, जो एनटीपीसी के नियंत्रण में ही नहीं हैं.'' मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी.
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