दिल्ली की एक अदालत ने सरकारी गवाहों को केवल व्हाट्सऐप के जरिए समन भेजने के लिए पुलिस की आलोचना की और मामले को ‘‘उचित कार्रवाई'' के लिए पुलिस उपायुक्त (पश्चिम जिला) को संदर्भित कर दिया. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हेमराज पंजाबी बाग पुलिस थाने में दर्ज हत्या के एक मामले में सुनवाई कर रहे हैं जिसमें अब अभियोजन पक्ष को सबूत पेश करने हैं.
न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष का एक गवाह अनुपस्थित है और उसने बार-बार कॉल किए जाने का कोई जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस आयुक्त ने पिछले साल फरवरी में गवाहों को समन दिए जाने के संबंध में एक आदेश पारित किया था.
अदालत ने एक अन्य मामले में यह भी कहा कि डीसीपी (पश्चिम) से एक पत्र मिला है जिसमें कहा गया है कि दिल्ली पुलिस को व्हाट्सऐप के जरिए समन भेजने का कोई परिपत्र जारी नहीं किया गया है. न्यायाधीश हेमराज ने कहा, ‘‘पहले भी इस अदालत ने कई मामलों में गौर किया है कि पुलिस अधिकारी गवाहों को व्हाट्सऐप पर समन भेज रहे हैं.''
उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी अब भी सरकारी गवाहों को ‘‘केवल व्हाट्सऐप'' पर समन भेज रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘वे गवाहों के घर जाने का कष्ट नहीं उठा रहे हैं जो कि उन्हें करना चाहिए. पुलिस अधिकारियों ने गवाह के घर जाने की एक बार भी कोशिश नहीं की जबकि उन्हें कम से कम तीन बार गवाह के घर जाना चाहिए था.''
अदालत ने मामले में डीसीपी (पश्चिम) को ‘‘उचित कार्रवाई'' करने के निर्देश दिए हैं. अदालत ने संबंधित पुलिस अधिकारियों को भी पेश होने के लिए नोटिस जारी किया तथा उनसे स्पष्टीकरण मांगा है कि उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस कानून और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत उचित कार्रवाई क्यों न की जाए.
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