2012 में माचिल फर्ज़ी मुठभेड़ में सेना ने तीन लोगों को मार गिराया था (फाइल फोटो)
जम्मू:
सेना के उत्तरी कमांड जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (जीओसी) ने सोमवार को सेना के छह जवानों की उम्र कैद की सज़ा पर मुहर लगा दी है। एक सैन्य अधिकारी के मुताबिक इन छह जवानों में कर्नल रैंक के एक अफसर भी शामिल हैं जिन्हें 2012 के माचिल फर्ज़ी मुठभेड़ में सज़ा सुनाई गई है।
सेना के उधमपुर स्थित उत्तरी कमान के प्रवक्ता कर्नल एस डी गोस्वामी ने समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा 'उत्तरी कमान के जीओसी ल्युटिनेंट जनरल डीएस हुडा ने माचिल मुठभेड़ मामले में कोर्ट मार्शल की सुनाई गई सज़ा पर मुहर लगा दी है।'
कर्नल गोस्वामी ने बताया कि इस मामले में कर्नल दिनेश पठानिया, कैप्टन उपेंद्र, हवलदार देवेंद्र कुमार, लांस नायक लखमी, लांस नायक अरुण कुमार और राइफल मैन अब्बास हुसैन को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई है।
बता दें कि अप्रैल 2012 में सेना ने दावा किया था कि उन्होंने कुपवाड़ा जिले की लाइन ऑफ कंट्रोल के माचिल सेक्टर में तीन गुर्रिला को मार गिराया।
कथित मुठभेड़ में मरने वालों की तस्वीर सामने आने के बाद काफी विवाद खड़ा हो गया था क्योंकि मरने वालों के रिश्तेदार और पड़ोसियों ने दावा किया कि इस मुठभेड़ में तीन नागरिकों को फंसाया गया है। उनका आरोप था कि इन तीन नागरिकों को फर्जी मुठभेड़ के तहत मारा गया और उनका आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं है।
पुलिस जांच से बाद में यह साबित हुआ कि तीनों नागरिकों को नौकरी का झांसा देकर सीमा पर ले जाया गया जहां उन्हें ईनाम और पैसों के लिए फर्ज़ी मुठभेड़ में मार दिया गया। इसके बाद सेना ने जनरल कोर्ट मार्शल का आदेश दिया जिसमें छह जवान दोषी पाए गए।
सेना के उधमपुर स्थित उत्तरी कमान के प्रवक्ता कर्नल एस डी गोस्वामी ने समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा 'उत्तरी कमान के जीओसी ल्युटिनेंट जनरल डीएस हुडा ने माचिल मुठभेड़ मामले में कोर्ट मार्शल की सुनाई गई सज़ा पर मुहर लगा दी है।'
कर्नल गोस्वामी ने बताया कि इस मामले में कर्नल दिनेश पठानिया, कैप्टन उपेंद्र, हवलदार देवेंद्र कुमार, लांस नायक लखमी, लांस नायक अरुण कुमार और राइफल मैन अब्बास हुसैन को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई है।
बता दें कि अप्रैल 2012 में सेना ने दावा किया था कि उन्होंने कुपवाड़ा जिले की लाइन ऑफ कंट्रोल के माचिल सेक्टर में तीन गुर्रिला को मार गिराया।
कथित मुठभेड़ में मरने वालों की तस्वीर सामने आने के बाद काफी विवाद खड़ा हो गया था क्योंकि मरने वालों के रिश्तेदार और पड़ोसियों ने दावा किया कि इस मुठभेड़ में तीन नागरिकों को फंसाया गया है। उनका आरोप था कि इन तीन नागरिकों को फर्जी मुठभेड़ के तहत मारा गया और उनका आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं है।
पुलिस जांच से बाद में यह साबित हुआ कि तीनों नागरिकों को नौकरी का झांसा देकर सीमा पर ले जाया गया जहां उन्हें ईनाम और पैसों के लिए फर्ज़ी मुठभेड़ में मार दिया गया। इसके बाद सेना ने जनरल कोर्ट मार्शल का आदेश दिया जिसमें छह जवान दोषी पाए गए।
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