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This Article is From Nov 30, 2023

कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर की सर्वे रिपोर्ट जमा करने के लिए ASI को 10 दिन का और समय दिया

हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने कहा कि, अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 11 दिसंबर तय की है

कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर की सर्वे रिपोर्ट जमा करने के लिए ASI को 10 दिन का और समय दिया
वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद.
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
अदालत ने एएसआई से सर्वेक्षण रिपोर्ट चार अगस्त तक देने को कहा था
सर्वेक्षण पहले SC और फिर HC के आदेश पर 3 अगस्त तक रुका रहा
वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित है ज्ञानवापी परिसर
वाराणसी:

वाराणसी की जिला अदालत ने गुरुवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को ज्ञानवापी परिसर की वैज्ञानिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पूरी करने और जमा करने के लिए 10 और दिन का समय दिया. हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने यह जानकारी दी. रिपोर्ट सौंपने के लिए तीन अतिरिक्त सप्ताह की मांग करने वाली एएसआई की याचिका पर जिला न्यायाधीश एके विश्वेश ने सुनवाई की. न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि एएसआई समय पर काम पूरा कर लेगा और अधिक समय नहीं मांगेगा.

मदन मोहन यादव ने बताया कि अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 11 दिसंबर तय की है.

अदालत मंगलवार को दायर एएसआई की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की वैज्ञानिक सर्वेक्षण रिपोर्ट जमा करने के लिए जिला अदालत से तीन सप्ताह का और समय मांगा गया था. याचिका में कहा गया था कि विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी को आत्मसात करने के लिए और अधिक समय की आवश्यकता है.

उल्लेखनीय है कि जिला अदालत ने गत 21 जुलाई को एएसआई को ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण कर चार अगस्त तक रिपोर्ट पेश करने को कहा था और 24 जुलाई को सर्वेक्षण शुरू होने के बाद, पहले उच्चतम न्यायालय और फिर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश से तीन अगस्त तक काम रुका रहा. उसके बाद एएसआई ने सर्वेक्षण का काम पूरा करने के लिए चार हफ्ते का और वक्त मांगा था.

अदालत ने सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करने के लिए पांच अगस्त को चार हफ्ते का और समय दिया था. उसके बाद अदालत ने आठ सितंबर को एएसआई को सर्वे का काम पूरा करने के लिए चार हफ्ते का और समय दिया था.

एएसआई ने वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद किसी हिंदू मंदिर की संरचना पर किया गया था.

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