विज्ञापन
This Article is From Feb 06, 2019

SC ने वकील प्रशांत भूषण को अवमानना का नोटिस जारी किया, नागेश्वर राव की नियुक्ति पर दिया था बयान

सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को इस नोटिस पर तीन हफ्ते जवाब देने के लिए कहा है. वहीं अटॉर्नी जनरल और केंद्र सरकार को उनके जवाब पर एक हफ्ते में अपना जवाब देने देगा होगा.

SC ने वकील प्रशांत भूषण को अवमानना का नोटिस जारी किया, नागेश्वर राव की नियुक्ति पर दिया था बयान
प्रशांत भूषण (फाइल फोटो)
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
नागेश्वर राव की नियुक्ति पर उठाए थे सवाल
केंद्र और एजी ने दाखिल की थी अवमानना याचिका
तीन हफ्ते में देना है नोटिस का जवाब
नई दिल्ली:

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) के खिलाफ अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और केंद्र द्वारा दाखिल अवमानना की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उनके खिलाफ अवमानना नोटिस (Contempt Notice) जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम बड़े मुद्दे पर बहस कर रहे हैं कि जब कोई मामला अदालत में लंबित हो तो क्या कोर्ट की आलोचना कर पब्लिक ऑपिनियन बनाना किसी पक्ष के न्याय पाने के अधिकार का हनन करता है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को इस नोटिस पर तीन हफ्ते जवाब देने के लिए कहा है. वहीं अटॉर्नी जनरल और केंद्र सरकार को उनके जवाब पर एक हफ्ते में अपना जवाब देने देगा. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई सात मार्च को करेगा.

CBI मामला: DSP बस्सी के ट्रांसफर पर अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव को SC का नोटिस, छह हफ्ते में मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
- सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरूण मिश्रा की पीठ ने कहा कि जब अदालत में मामला लंबित है तो वकील पब्लिक में क्यों लिख रहे हैं या टीवी डिबेट में जा रहे हैं?
- ये अवमानना से ज्यादा मौलिक सवाल का मामला है कि क्या स्वतंत्रता में जिम्मेदारी भी रहती है?
- अदालत में लंबित मामले में बाहर जाकर मीडिया से बात करने का चलन बढ़ गया है?
- सबका स्वागत है लेकिन लंबित मामले में कोई वकील कैसे मीडिया में बयानबाजी कर सकता है?
- अदालत में क्या हुआ वो तो ठीक है लेकिन तथ्यों पर बयानबाजी कैसे हो सकती है?
- सुप्रीम कोर्ट का ही आदेश है कि मीडिया ट्रायल और उनकी वजह से पब्लिक ऑपिनियन की वजह से आपराधिक केस प्रभावित होते हैं. 
- मान लो किसी को पहले अपराधी बता दिया गया और वो बाद में बरी हो गया तो? 
- यहां तो याचिका पर सुनवाई से पहले ही सब मीडिया में आ जाता है.
- बार ही न्यायपालिका की सरंक्षक है. ऐसे में हम क्या कर सकते हैं?
- बार को इस पर कोई गाइडलाइन तैयार करनी चाहिए.
- हमने कुछ दिन पहले ही एक फैसला दिया है कि किस तरह फैसलों को प्रभावित करने की कोशिश की जाती है. 
- इसे लेकर अब कानून की घोषणा होनी चाहिए कि मीडिया किस हद तक रिपोर्ट कर सकता है.
- वकीलों को कैमरों के पास जाने पर रोक हो. 
- जस्टिस नवीन सिन्हा ने कहा कि हम एक केस पर नहीं जा रहे हैं, हम बडे मुद्दे की ओर जा रहे हैं.
- जस्टिस मिश्रा ने कहा- अवमानना के साथ-साथ किसी वकील को सजा देने का कदम सबसे आखिरी होना चाहिए.

CBI मामला: नागेश्वर राव केस से हटने वाले तीसरे जज बने जस्टिस रमना, बोले- उनकी बेटी की शादी में गया था

कोर्ट में अटॉर्नी जनरल का का पक्ष
- AG केके वेणुगोपाल ने कहा कि प्रशांत भूषण को इस तरह पब्लिक में बयानबाजी नहीं करनी चाहिए थी.
- मुझ पर सीबीआई के अंतरिम निदेशक की नियुक्ति के मामले में फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया गया. 
- इससे मैं आहत हुआ हूं हालांकि मैं कोई सजा की मांग नहीं कर रहा हूं. 
- सुप्रीम कोर्ट के लॉन में 12 कैमरे रहते हैं और वो वकील वहां जाकर रिपोर्टरों से बात करते हैं. 
- अदालत में क्या कार्रवाई हुई वो तो ठीक है, लेकिन वो केस के तथ्यों पर भी बात करते हैं. 
- इस तरह की बयानबाजी अदालत की गंभीर अवमानना है.

CBI मामला: नागेश्वर राव केस से CJI के बाद अब जस्टिस सीकरी भी अलग, कहा- काश सुनवाई कर पाता, AG बोले- हमें कोई आपत्ति नहीं

केंद्र की ओर से SG तुषार मेहता का पक्ष
- मीडिया के माध्यम पर नहीं जाना चाहिए. 
- हमारे पास बहुत उदाहरण हैं जब वकील किसी फैसले के बाद मीडिया के पास जाते हैं और अपना जहर उगलते हैं. 
- कई बार कहा गया कि ये न्यायपालिका के इतिहास में काला दिन है. 
- उस वक्त मीडिया को पता नहीं होता कि वो क्या कहेगा. 
- यह स्वयं को सोचना चाहिए.
- यह पहली बार नहीं किया गया है और अब कड़ी सजा देने का वक्त आ गया है.
- अब वक्त आ गया है कि कोर्ट ये बताए कि वो कमजोर नहीं है. 
- देश की सबसे बड़ी अदालत और जज पर सवाल उठाए जाते हैं. 
- आम लोगों को लगता है कि देश की बड़ी अदालत से उसे न्याय नहीं मिलेगा.
- सरकार वीडियो क्लिप भी देने को तैयार है.

ट्रांसफर को चुनौती देने एके बस्सी फिर पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, CBI के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव पर लगाए ये आरोप...

बता दें, सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव की नियुक्ति पर प्रशांत भूषण ने ट्विटर पर बयान दिए थे. इन बयानों में प्रशांत भूषण ने अदालत पर भी तंज कसा था. कहा था कि उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे से बात की है और उन्होंने बताया कि अंतरिम निदेशक की नियुक्ति की हाईपावर कमेटी में कोई बात नहीं हुई. भूषण के इन बयानों की शिकायत करते हुए अटॉर्नी जनरल ने अवमानना याचिका दाखिल की थी.  इसके साथ ही केंद्र सरकार ने भी अवमानना याचिका दाखिल की थी.

CBI के अंतरिम निदेशक के रूप में नागेश्वर राव की नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से CJI ने खुद को अलग किया

VIDEO- सीबीआई अफसर नागेश्वर राव के केस से तीसरे जज भी हुए अलग

 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com