
- वलसाड की रिया ने एक साल पहले अपने भाई शिवम की कलाई पर राखी बांधी थी और अब वही हाथ अनामता को मिला है.
- अनामता का हाथ करंट लगने के कारण काट कर हटाना पड़ा था. ऑपरेशन के जरिए उसमें रिया का हाथ जोड़ा गया.
- रिया के निधन के बाद उनके परिवार ने अंगदान का निर्णय लिया था. अनामता ने उसी हाथ से शिवम को राखी बांधी.
Raksha Bandhan Emotional Story: रक्षाबंधन पर वलसाड में एक ऐसी अनोखी कहानी देखने को मिली, जिसने इंसानियत और प्यार के रिश्ते को एक नई परिभाषा दी है. ये कहानी है उस हाथ की, जिसने एक साल पहले अपने भाई की कलाई पर राखी बांधी थी, और आज उसी हाथ ने एक नए परिवार में भाई के प्रति अपना रिश्ता निभाया. करीब साल भर पहले रिया ये दुनिया छोड़ गई, लेकिन जिन हाथों से वो अपने भाई शिवम की कलाई पर राखी बांधा करती थी, उन्हीं हाथों से आज दूसरी 'बहन' अनामता ने शिवम को राखी बांधी.
मजहब की दीवार तोड़ती ये कहानी शुरू होती है एक साल पहले, जब वलसाड की रहनेवाली रिया का अचानक निधन हो गया था. उस दुख की घड़ी में, उनके परिवार ने एक साहसिक और नेक फैसला लिया. उन्होंने रिया का अंगदान करने का निर्णय लिया. रिया का एक हाथ मुंबई की रहने वाली अनामता अहमद को दिया गया, जो एक मुस्लिम परिवार से हैं. अनामता का हाथ करंट लगने के कारण काटना पड़ा था और रिया का हाथ उनके लिए एक नई जिंदगी लेकर आया था.

...और सबकी आंखें नम हो गईं
रक्षाबंधन के पावन पर्व पर, अनामता अहमद का परिवार मुंबई से वलसाड पहुंचा. रिया के परिवार के लिए यह एक बेहद भावुक पल था. जब रिया के भाई शिवम ने अनामता के उसी हाथ पर राखी बांधी, जो कभी उनकी बहन का था, तो हर किसी की आंखें नम हो गई. ये सिर्फ एक राखी नहीं थी, बल्कि रिया के प्यार और उनके परिवार के त्याग का प्रतीक थी. ये पल दिखा रहा था कि धर्म और मजहब से परे, इंसानियत का रिश्ता सबसे पवित्र और गहरा होता है.

'ऐसा लगा, जैसे रिया ने ही बांधी राखी'
इस साल अनामता ने रिया के भाई शिवम की कलाई पर राखी बांधी. जब रिया के परिवार ने देखा कि जिस हाथ से रिया ने पिछले साल अपने भाई की कलाई पर राखी बांधी थी, आज उसी हाथ से अनामता अपने भाई को राखी बांध रही है, तो मानो रिया उनके बीच ही मौजूद हों. ये दृश्य इतना भावुक कर देने वाला था कि वहां मौजूद हर शख्स की आंखों से आंसू बहने लगे.
भाई को दिया कभी न भूलने वाला पल
रिया के हाथ ने अनामता को एक नई जिंदगी दी, और अनामता ने उस हाथ से राखी बांधकर रिया के भाई को कभी न भूलने वाला उपहार दिया. ये कहानी सिर्फ अंगदान की नहीं, बल्कि मजहब की दीवारों से परे दो परिवारों के जुड़ने की कहानी है. ये कहानी साबित करती है कि सच्चा रिश्ता केवल खून का ही नहीं, बल्कि दिलों का होता है. रक्षाबंधन पर ये एक ऐसे रिश्ते का प्रतीक है, जो दोनों परिवार के लोग हमेशा याद रखेंगे.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं