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थरूर न उगलते बन रहे न निगलते! BJP से बढ़ती नजदीकी के बीच कांग्रेस की मजबूरी क्या? पढ़ें इनसाइड स्टोरी

शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कुछ दिनों पहले केरल की एक सभा में मंच साझा किया था. तब प्रधानमंत्री ने कहा था कि आज कई लोगों के रात की नींद उड़ सकती है. फिर उन्हें विदेश जाने वाले डेलीगेशन में शामिल किया गया. 

नई दिल्ली:

शशि थरूर को लेकर कांग्रेस असमंजस में है, कि करें तो करें क्या? कांग्रेस को पता है कि थरूर पार्टी से नाराज हैं. वजह भी उनको पता है, मगर करें तो क्या करें, क्योंकि केरल से लेकर दिल्ली तक थरूर के धुर विरोधी के सी वेणुगोपाल फिलहाल राहुल गांधी के आंख और कान बने हुए हैं. ये बात कांग्रेस के कई नेताओं को पसंद नहीं है, मगर वो क्या करें. हर बात पर राहुल गांधी, 'केसी से मिल लीजिए' की बात कह देते हैं. थरूर कई बार पत्रकारों को कह चुके हैं कि वो चार बार के सांसद हैं, मगर उनकी लोकसभा में बैठने की जगह इतनी पीछे क्यों है और केसी वेणुगोपाल की इतनी आगे क्यों?

थरूर ने मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ लड़ा था कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव

साथ ही शशि थरूर की यह भी शिकायत है कि उनके अपने नेता से मिलने के लिए वक्त नहीं दिया जाता. थरूर को लगता है कि यह सब इसलिए भी हो रहा है क्योंकि उन्होंने मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था. थरूर को खरगे के 7,897 वोटों के मुकाबले 1,072 वोट ही मिले थे और वो हार गए थे. तब से कांगेस में यह संदेश गया कि थरूर ने गांधी परिवार के खिलाफ लड़कर एक तरह से बगावत की है.

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नरम-गरम रहे हैं थरूर के कांग्रेस आलाकमान के साथ रिश्ते

थरूर को पूर्व प्रधानमंत्री कांग्रेस में लेकर आए थे और केन्द्र में मंत्री बनाया था. मनमोहन सिंह थरूर को यूएन का अध्यक्ष बनाना चाहते थे, हालांकि थरूर वो चुनाव हार गए थे. थरूर के कांग्रेस आलाकमान के साथ रिश्ते नरम-गरम रहे हैं. हालांकि उन्हें कांग्रेस की कार्य समिति का सदस्य बनाकर पार्टी ने हालात को थोड़ा संभालने की कोशिश की, लेकिन फिर पहलगाम के बाद विदेश जाने वालों की कमिटी में उनको नेता बनाया जाना, कांग्रेस का शुरुआत में इस पर आपत्ति करना, फिर विदेश में एयर स्ट्राइक पर उनका बयान देना और उसमें मनमोहन सिंह सरकार का जिक्र ना करना, कांग्रेस को नागवार गुजरा है.

कांग्रेस के कई नेता शशि थरूर के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं, लेकिन फिर भी पार्टी उन पर कार्रवाई नहीं करना चाहती. पहली वजह ये है कि कांग्रेस थरूर को राजनैतिक तौर पर शहीद कर, उनका कद नहीं बढ़ाना चाहती है. कांग्रेस वैसे भी एक सांसद नहीं खोना चाहेगी, क्योंकि पार्टी से निकालने पर उनकी लोकसभा की सदस्या बरकरार रहेगी और वो कांग्रेस के खिलाफ काफी मुखर हो सकते हैं.
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थरूर को लेकर प्रधानमंत्री के बयान की खूब हुई थी चर्चा

कांग्रेस भी जानती है कि थरूर 2024 का लोकसभा चुनाव हारते-हारते जीते हैं. पिछले लोकसभा में जीत का जो अंतर एक लाख के करीब था. इस बार यानि 2024 में 16 हजार का रहा. मगर यह भी सच्चाई है कि थरूर पूरे केरल में काफी लोकप्रिय हैं, चाहे वो नौजवान हो या मध्यम वर्ग या फिर महिलाएं.

शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कुछ दिनों पहले केरल की एक सभा में मंच साझा किया था. तब प्रधानमंत्री ने कहा था कि आज कई लोगों के रात की नींद उड़ सकती है. फिर उन्हें विदेश जाने वाले डेलीगेशन में शामिल किया गया.

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कांग्रेस थरूर पर इसलिए भी कार्रवाई नहीं कर सकती है कि वो पहलगाम की हिंसा के बाद पाकिस्तान का सच बताने विदेश भेजे गए थे. इसको बीजेपी देशद्रोही का कदम बताकर कांग्रेस के पीछे पड़ जाएगी. कांग्रेस सूत्रों की मानें तो थरूर को सरकार, गैर सरकारी अंतरराष्ट्रीय कामों के लिए इस्तेमाल कर सकती है. जैसे नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का G-20 सम्मेलन में किया गया था. यदि ऐसा कुछ होता है तो कांग्रेस कोई कदम उठा सकती है.

थरूर को फिलहाल छेड़ना नहीं चाहती कांग्रेस

कांग्रेस उन्हें इसलिए भी नहीं निकालेगी क्योंकि वो केरल में अपने अन्य घटक दलों को नाराज नहीं करना चाहेगी, खासकर मुस्लिम लीग को. फिर केरल में कांग्रेस नायर समुदाय को भी नाराज नहीं करना चाहेगी. कुछ ऐसी ही राजनैतिक मजबूरियां हैं, जिसकी वजह से कांग्रेस फिलहाल थरूर को छेड़ना नहीं चाहती है और थरूर भी पार्टी के एकदम खिलाफ नहीं जा सकते, क्योंकि वो भी पार्टी संविधान से बंधे हुए हैं. वो तब तक पार्टी की लक्ष्मण रेखा नहीं लांघेंगे, जब तक उन्हें सामने से कोई ऑफर नहीं मिलता है.

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