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This Article is From May 19, 2022

कांग्रेस का क्षेत्रीय दलों को संदेश : गठबंधन का मतलब वीआरएस लेना नहीं

राहुल गांधी ने राजस्थान के उदयपुर में 13-15 मई को आयोजित कांग्रेस के चिंतन शिविर में कहा था कि क्षेत्रीय दलों की अपनी जगह है, लेकिन वे भाजपा को नहीं हरा सकते क्योंकि उनके पास विचारधारा का अभाव है.

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कांग्रेस का क्षेत्रीय दलों को संदेश : गठबंधन का मतलब वीआरएस लेना नहीं
जनता दल (सेक्युलर) के नेता एच डी कुमारस्वामी ने कहा था कि कांग्रेस क्षेत्रीय दलों से डर महसूस कर रही है.
नई दिल्ली:

चिंतन शिविर में राहुल गांधी की एक टिप्पणी को लेकर कुछ क्षेत्रीय दलों की ओर से आपत्ति दर्ज किए जाने के बाद कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बृहस्पतिवार को इन दलों को परोक्ष रूप से संदेश देते हुए कहा कि गठबंधन करने का मतलब ‘वीआरएस' (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) लेना नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने राष्ट्रीय संदर्भ में अपनी बात रखी थी और यह भी सच्चाई है कि आज भारतीय जनता पार्टी के अलावा कांग्रेस ही एकमात्र पार्टी है जिसकी अखिल भारतीय स्तर पर उपस्थिति है.

राहुल गांधी ने राजस्थान के उदयपुर में 13-15 मई को आयोजित कांग्रेस के चिंतन शिविर में कहा था कि क्षेत्रीय दलों की अपनी जगह है, लेकिन वे भाजपा को नहीं हरा सकते क्योंकि उनके पास विचारधारा का अभाव है.

राहुल गांधी की इस टिप्पणी को लेकर राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल (सेक्युलर) जैसे कुछ क्षेत्रीय दलों ने आपत्ति जताई थी. राजद प्रवक्ता मनोज कुमार झा ने कहा था कि क्षेत्रीय दल भाजपा के खिलाफ लड़ाई में लोकसभा में बड़ी संख्या में सीटों के साथ मजबूत स्थिति में हैं और कांग्रेस को लोकसभा की 543 सीटों में से 320 में से अधिक पर क्षेत्रीय दलों के सदस्यों को देखते हुए उन्हें ‘ड्राइविंग सीट' पर रहने देना चाहिए और खुद ‘सहयात्री' बन जाना चाहिए.

जनता दल (सेक्युलर) के नेता एच डी कुमारस्वामी ने कहा था कि कांग्रेस क्षेत्रीय दलों से डर महसूस कर रही है.

राहुल गांधी की टिप्पणी पर कुछ क्षेत्रीय दलों की तीखी प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘राहुल गांधी जी की बात को संदर्भ से हटकर देखा जा रहा है. उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा से मुकाबले की बात की है. इसमें तो कोई दो राय नहीं है कि आज भाजपा के अलावा कांग्रेस की एकमात्रा ऐसी पार्टी है जिसकी राष्ट्रीय स्तर पर उपस्थिति है. राष्ट्रीय स्तर पर हम ही भाजपा का मुकाबला कर सकते हैं.''

उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘गठबंधन का मतलब वीआरएस लेना नहीं है.''

कांग्रेस के इस सूत्र का यह भी कहना था, ‘‘गठबंधन दो तरह के होते हैं- एक राज्य स्तर पर और दूसरा राष्ट्रीय स्तर पर. महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, झारखंड जैसे राज्यों में हमारा प्रदेश स्तर पर गठबंधन है. बिहार में भी गठबंधन की स्थिति लगभग स्पष्ट है. पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में हमें गठबंधन के संदर्भ में विचार करना और निर्णय लेना है.''

उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन की बात करना अभी जल्दबाजी होगा.

कांग्रेस के एक सूत्र ने यह भी कहा कि कांग्रेस संगठन में सुधारों के माध्यम से खुद को मजबूत करने और अगले लोकसभा चुनाव के लिए अपने आप को तैयार करने की कोशिश कर रही है. गठबंधन की बात बाद में होगी.

कांग्रेस ने चिंतन शिविर के बाद जारी अपने ‘उदयपुर नवसंकल्प' में समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों के साथ संपर्क स्थापित करने की प्रतिबद्धता जताते हुए कहा था कि राजनीतिक परिस्थितियों के अनुरूप गठबंधन का विकल्प उसने खुला रखा है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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