नई दिल्ली:
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से चीन की तारीफ किए जाने पर कांग्रेस ने यह कहते हुए चुटकी ली कि ऐसा लगता है कि वह भारत में कम्युनिस्ट देश जैसे कानून लागू करना चाहते हैं।
कांग्रेस ने चीन द्वारा शिक्षा पर किए जाने वाले खर्च के उन आंकड़ों की सत्यता पर भी सवाल उठाए जिनका जिक्र मोदी ने अपने एक भाषण में किया। पार्टी ने यह आरोप भी लगाया कि मोदी लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में छात्रों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा था, ‘चीन शिक्षा पर अपने जीडीपी का 20 फीसदी खर्च करता है जबकि भारत ने अपनी जीडीपी का सात फीसदी शिक्षा पर खर्च करने का फैसला किया है, हालांकि हकीकत यह है कि अपने देश में जीडीपी का महज चार फीसदी ही शिक्षा पर खर्च किया जाता है।’
बहरहाल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने कहा, ‘मुझे नहीं मालूम कि मोदी को यह आंकड़ा कहां से मिला कि चीन अपनी जीडीपी का 20 फीसदी शिक्षा पर खर्च करता है। आम आदमी तो आंकड़े की सत्यता जांचता नहीं। इसका मतलब यह नहीं कि आप लोगों को गुमराह करें।’ अल्वी ने कहा कि चीन और भारत में बहुत फर्क है।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘मुझे लगता है कि नरेंद्र मोदी भारत में चीन के कानून ही लागू करना चाहते हैं। यह एक लोकतांत्रिक देश हैं। हमारे यहां लोकतंत्र है। हम शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया के कई देशों से काफी आगे हैं और लगातार आगे बढ़ रहे हैं।’
कांग्रेस ने चीन द्वारा शिक्षा पर किए जाने वाले खर्च के उन आंकड़ों की सत्यता पर भी सवाल उठाए जिनका जिक्र मोदी ने अपने एक भाषण में किया। पार्टी ने यह आरोप भी लगाया कि मोदी लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में छात्रों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा था, ‘चीन शिक्षा पर अपने जीडीपी का 20 फीसदी खर्च करता है जबकि भारत ने अपनी जीडीपी का सात फीसदी शिक्षा पर खर्च करने का फैसला किया है, हालांकि हकीकत यह है कि अपने देश में जीडीपी का महज चार फीसदी ही शिक्षा पर खर्च किया जाता है।’
बहरहाल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने कहा, ‘मुझे नहीं मालूम कि मोदी को यह आंकड़ा कहां से मिला कि चीन अपनी जीडीपी का 20 फीसदी शिक्षा पर खर्च करता है। आम आदमी तो आंकड़े की सत्यता जांचता नहीं। इसका मतलब यह नहीं कि आप लोगों को गुमराह करें।’ अल्वी ने कहा कि चीन और भारत में बहुत फर्क है।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘मुझे लगता है कि नरेंद्र मोदी भारत में चीन के कानून ही लागू करना चाहते हैं। यह एक लोकतांत्रिक देश हैं। हमारे यहां लोकतंत्र है। हम शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया के कई देशों से काफी आगे हैं और लगातार आगे बढ़ रहे हैं।’
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