कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बुधवार को चुनाव प्रचार के लिए अपने गृह राज्य गुजरात की यात्रा पर आने के बीच उनसे कई सवाल पूछे. विपक्षी दल की ओर से पूछे गये सवालों में यह भी शामिल था कि गुजरात भारत की ‘‘पेपर लीक राजधानी'' क्यों बन गया है? कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह भी पूछा कि ‘गुजरात मॉडल' राज्य के लोगों को ‘‘न्याय दिलाने में विफल'' क्यों रहा? उन्होंने दावा कि यह राज्य कई स्वास्थ्य और शिक्षा मानकों पर अन्य राज्यों से पिछड़ गया है.
रमेश ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आज गुजरात जा रहे प्रधानमंत्री से हमारे सवाल: गुजरात भारत की पेपर लीक राजधानी क्यों बन गया है? ‘नल से जल' योजना में भ्रष्टाचार के आरोपों पर कार्रवाई न करके प्रधानमंत्री किसे बचा रहे हैं? ‘गुजरात मॉडल' गुजरात के लोगों को न्याय दिलाने में क्यों विफल रहा है?''
उन्होंने आरोप लगाया कि गुजरात में पिछले 10 वर्ष में 14 पेपर लीक हुए हैं, जिनमें 2021 में सब ऑडिटर परीक्षा, 2022 में फॉरेस्ट गार्ड परीक्षा और 2023 में जूनियर क्लर्क परीक्षा शामिल हैं.
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘गुजरात ‘‘भारत में पेपर लीक के केंद्र'' के रूप में जाना जाने लगा है. हाल में उत्तर प्रदेश के विशेष कार्य बल ने पुष्टि की है कि इस साल की उप्र पुलिस भर्ती परीक्षा के पेपर भी अहमदाबाद से लीक हुए थे. प्रधानमंत्री का गृह राज्य पेपर लीक का अड्डा क्यों बन गया है?''
रमेश ने कहा, ‘‘कांग्रेस के ‘न्याय पत्र' ने ‘पेपर लीक से मुक्ति' की गारंटी दी है. पेपर लीक को रोकने के लिए विश्वसनीय संस्थाएं और नीतियां बनाई जायेंगी. पेपर लीक मामलों के निपटारे के लिए त्वरित अदालतें होंगी और सभी पीड़ितों को मौद्रिक मुआवजा दिया जाएगा.''
उन्होंने पूछा कि यह सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री के पास क्या दृष्टिकोण है कि गुजरात और भारत के युवाओं को फिर कभी इस तरह के अन्याय का सामना नहीं करना पड़ेगा?
कांग्रेस नेता ने यह भी दावा किया कि पिछले साल गुजरात विधानसभा के उपाध्यक्ष ने प्रधानमंत्री की प्रमुख ‘‘नल से जल'' योजना में व्यापक भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था.
रमेश ने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार के इन आरोपों को भाजपा आलाकमान ने नजरअंदाज कर दिया. भाजपा किसे बचाने की कोशिश कर रही है? प्रधानमंत्री ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने से इनकार क्यों किया?''
मोदी के ‘गुजरात मॉडल' पर उन्होंने दावा किया कि ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक' रिपोर्ट ने स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के संकेतकों पर गुजरात के निराशाजनक प्रदर्शन को उजागर किया है. उन्होंने कहा, ‘‘गुजरात की लगभग आधी ग्रामीण आबादी (44.45 प्रतिशत) कुपोषित है.
कांग्रेस महासचिव ने दावा किया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 से पता चला कि पांच साल से कम उम्र के दस में से आठ बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं और लिंगानुपात के मामले में गुजरात 20 राज्यों में से 15वें स्थान पर है.
उन्होंने कहा, ‘‘क्या प्रधानमंत्री मोदी बहुप्रचारित ‘गुजरात मॉडल' की खामियों को दूर करेंगे?'' उन्होंने पूछा, ‘‘केंद्र और राज्य में ‘डबल अन्याय' सरकार गुजरात के लोगों को न्याय देने में क्यों विफल रही है?''
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