केंद्र सरकार ने नई पेंशन स्कीम (NPS) में बदलाव करने के लिए एक कमेटी बनाई है. वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन इस कमेटी के हेड हैं. सोमनाथन ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट (Budget 2024) पेश होने के बाद NDTV को दिए इंटरव्यू में पुरानी पेंशन स्कीम और सब्सिडी जैसे मुद्दे पर खुलकर बात की है.
वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन ने बताया कि पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) को दोबारा लागू करना वित्तीय रूप से मुमकिन नहीं है. उन्होंने कहा, "मेरे ख्याल से यह कहीं से व्यावहारिक नहीं है. अगर यह अमल होता है, तो सरकारी कर्मचारी के लिए अच्छा होगा, लेकिन साधारण नागरिक के खिलाफ होगा जो बहुसंख्यक है."
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वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन ने कहा, "पुरानी पेंशन स्कीम को दोबारा लागू नहीं किया जा सकता. ऐसा में एक वित्तीय अधिकारी के नाते कह रहा हूं. आखिरी फैसला सरकार करेगी. मैं जहां तक समझ पा रहा हूं, तो पुरानी पेंशन स्कीम वित्तीय तौर पर व्यावहारिक नहीं है. क्योंकि साधारण नागरिकों के खिलाफ इसका नेगेटिव असर पड़ेगा. बेशक हम कर्मचारियों की उम्मीदों को कुछ हद तक पूरा कर सकते हैं."
टी.वी. सोमनाथन ने बताया कि इसके तीन मुद्दे हैं:-
1) स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव की वजह से अनिश्चिता है. कर्मचारी संगठन नहीं चाहते कि पेंशन सिस्टम उस पर निर्भर हो.
2) पेंशन व्यवस्था को महंगाई से लिंक करने का मुद्दा.
3) जिन लोगों का कार्यकाल 30 साल का नहीं है या 35 साल का नहीं हो पाया. उनका कुछ मिनिमम पेंशन हो, उसका इंतजाम होना चाहिए.
सोमनाथन ने कहा, "ये तीन मांगें कर्मचारी संगठनों की तरफ से आई है. हम इनपर विचार कर रहे हैं. इससे ज्यादा इसपर कोई कह नहीं सकता."
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आठवां वेतन आयोग अभी नहीं ला रही केंद्र सरकार
सोमनाथन ने बताया, "आठवें वेतन आयोग को 1 जनवरी 2026 से लागू होना है. अभी हम 2024 में है. पिछली बार 2014 फरवरी में किया गया था, लेकिन वह अनयूजुअल था.
बजट का सबसे अहम एजेंडा जॉब्स और स्किल डेवलपमेंट
वित्त सचिव ने बताया, "इस बजट का सबसे महत्वपूर्ण एजेंडा रोजगार है. हमारा फोकस रोजगार के लिए युवाओं का स्किल बढ़ाने पर है. इस पर बजट में काफी जोर दिया गया है." उन्होंने बताया, "हमने बजट में 5 स्कीम को शामिल किया है. इसमें 3 योजना ऐसी हैं, जिसमें रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए हम सब्सिडी दे रहे हैं. अगर पहली बार नौकरी करने वाले लोगों को रोजगार दिया जाता है, तो हम सब्सिडी देंगे. अगर किसी कंपनी ने रोजगार के अवसर बढ़ाए, तब उनको भी सब्सिडी दी जाएगी. कुछ हद तक इसका असर टेक्नोलॉजी और रोजगार के बीच बैलेंस पर होगा."
सोमनाथन ने बताया, "500 बड़ी कंपनियां को एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप का मौका देना होगा. इसके लिए वह CSR फंड्स इस्तेमाल कर सकते हैं. हालांकि, यह स्कीम बड़ी कंपनियां के लिए मैंडेटरी नहीं है. युवाओं के लिए एंट्री बैरियर को तोड़ने का यह एक बहुत अच्छा मौका होगा कि उन्होंने एक बड़ी कंपनी में इंटर्नशिप किया है. ऐसी इंडस्ट्रीज है जिनके पास वैकेंसी हैं, लेकिन उनके पास ट्रेंड मैनपॉवर नहीं है."
ITI के अपग्रेडेशन के लिए भी काम शुरू
वित्त सचिव ने कहा, "ITI के अपग्रेडेशन के लिए भी हमने स्कीम शुरू किया है. हमारा उद्देश्य है कि 1000 ऐसे आईटीआई में हम वर्ल्ड क्लास मशीन और टेक्नोलॉजी लगाएंगे, जिससे युवाओं को सही तरीके से स्किल किया जा सके." उन्होंने बताया, "यह 60,000 करोड़ की योजना है. इसमें से 30,000 करोड़ भारत सरकार देगी...20,000 करोड़ राज्य सरकार देंगे और 10,000 करोड़ कॉर्पोरेटर्स की तरफ से आएगा."
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बढ़ेगा इंटेंसिटी प्रोडक्शन
सोमनाथन ने कहा, "कुछ सेक्टर ऐसे होंगे, जहां पर ऑटोमेशन की जगह अगर ज्यादा युवाओं को रोजगार दिया जाता है, तो उनको इंसेंटिव कंपनियों को मिलेगा... इससे इंटेंसिटी प्रोडक्शन बढ़ेगा."
अग्निवीर एक अच्छी योजना
सोमनाथन ने सरकार की 'अग्निवीर योजना' को अच्छी योजना बताया है. उन्होंने कहा, "भारत की सुरक्षा के लिए और राष्ट्रीय सेवा के लिए ये अच्छी योजना है. कई देशों में शॉर्ट सर्विस कमीशन है, ताकि युवा कम उम्र में कुछ सालों के लिए सेना में काम करें. स्किल्ड हो जाएं. बाद में ऐसे लोग बहुत सक्सेसफुल कॉर्पोरेट एम्पलाई और एंटरप्रेन्योर बनते हैं."
राजनीतिक मुद्दों पर नहीं करूंगा बहस
विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों के नीति आयोग की मीटिंग का बहिष्कार करने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में वित्त सचिव सोमनाथन ने कहा, "मैं एक ऑफिसर हूं, राजनेता नहीं हूं. मैं राजनीतिक मुद्दों पर बहस नहीं करूंगा. मैं यह कहूंगा कि भारत सरकार और राज्य सरकारों के बीच एक स्तर पर पॉलिटिकल रिलेशनशिप होता है. दूसरे स्तर पर एक ऑफिशियल सिस्टम होता है. स्टेट चीफ सेक्रेटरी, स्टेट फाइनेंस सेक्रेट्री और मेरे बीच जो संबंध है वह निरंतर चलने वाला है सिस्टम है."
सोमनाथन ने कहा, "यह सिस्टम अच्छे से चल रहा है...राज्य में चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो...प्रशासनिक स्तर पर जो सहयोग है वह नॉर्मल है. ये आगे भी नॉर्मल ही रहेगा. यह हमारी संवैधानिक व्यवस्था की मजबूती है. यह तालमेल राजनीति से बिल्कुल अलग होता है. हमें उम्मीद है कि हम राज्यों के साथ बेहतर समन्वय और तालमेल के साथ काम करते रहेंगे."
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