नई दिल्ली:
राजनीति की पिच पर कोयला विवाद को लेकर चल रहे मुकाबले में आज पहला विकेट गिर सकता है। संसद तो बुधवार को भी नहीं चली, लेकिन इस बीच महाराष्ट्र के स्कूली शिक्षामंत्री राजेंद्र दर्डा इस विवाद के पहले शिकार बनते नजर आ रहे हैं। दर्डा के खिलाफ कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले में सीबीआई ने एफआईआर दायर की है और कहा जा रहा है कि अब वह इस्तीफा दे सकते हैं।
वैसे, राजेन्द्र दर्डा का नाम कोयला घोटाले में सामने आने के बाद से ही उनका पारा चढ़ा हुआ है। मंत्रीजी और उनके सांसद भाई एफआईआर में नामजद हैं। वे कोयला कारोबारी मनोज जैसवाल के साथी हैं। बावजूद इसके दर्डा सरकारी कार्यक्रमों में शरीक होते रहे और शिक्षकों को नसीहत देते रहे।
गौरतलब है कि दर्डा परिवार महाराष्ट्र के विदर्भ के यवतमाल से तब राजनीति में सक्रिय हुआ जब महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री वसंतराव नाइक का सूरज डूब रहा था। बाद की सरकारों में मंत्री रहा दर्डा परिवार लोकमत अखबार की वजह से राजनीति में बेहद ताकत पा गया। ये ताकत मीडिया की थी न कि दर्डा परिवार की। मीडिया बिजनेस से दर्डा परिवार धीरे-धीरे और धंधों में भी पैर पसारने लगा। उनकी पहचान व्यापारी और नेता दोनों के तौर पर बनने लगी। इसी के चलते कांग्रेसी सांसद विजय दर्डा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंच पर दिखते हैं और मोदी को शेर कहते हैं।
मीडिया बैनर बन चुका दर्डा परिवार पार्टी के साथ बार्गेन करने की हैसियत पा चुका था। इसीलिए जब वे मजबूरी में थे तब उन्हें पद दिया गया और जब बोझ बने तो उन पर कार्रवाई की बात हो रही है। वैसे, दर्डा खुद अपने इस्तीफे की संभावना को नकार रहे हैं, लेकिन पार्टी उनके साथ क्या इंसाफ करेगी इसके लिए शायद ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
वैसे, राजेन्द्र दर्डा का नाम कोयला घोटाले में सामने आने के बाद से ही उनका पारा चढ़ा हुआ है। मंत्रीजी और उनके सांसद भाई एफआईआर में नामजद हैं। वे कोयला कारोबारी मनोज जैसवाल के साथी हैं। बावजूद इसके दर्डा सरकारी कार्यक्रमों में शरीक होते रहे और शिक्षकों को नसीहत देते रहे।
गौरतलब है कि दर्डा परिवार महाराष्ट्र के विदर्भ के यवतमाल से तब राजनीति में सक्रिय हुआ जब महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री वसंतराव नाइक का सूरज डूब रहा था। बाद की सरकारों में मंत्री रहा दर्डा परिवार लोकमत अखबार की वजह से राजनीति में बेहद ताकत पा गया। ये ताकत मीडिया की थी न कि दर्डा परिवार की। मीडिया बिजनेस से दर्डा परिवार धीरे-धीरे और धंधों में भी पैर पसारने लगा। उनकी पहचान व्यापारी और नेता दोनों के तौर पर बनने लगी। इसी के चलते कांग्रेसी सांसद विजय दर्डा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंच पर दिखते हैं और मोदी को शेर कहते हैं।
मीडिया बैनर बन चुका दर्डा परिवार पार्टी के साथ बार्गेन करने की हैसियत पा चुका था। इसीलिए जब वे मजबूरी में थे तब उन्हें पद दिया गया और जब बोझ बने तो उन पर कार्रवाई की बात हो रही है। वैसे, दर्डा खुद अपने इस्तीफे की संभावना को नकार रहे हैं, लेकिन पार्टी उनके साथ क्या इंसाफ करेगी इसके लिए शायद ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
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