छत्तीसगढ़ कॉन्क्लेव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी सरकार की योजनाओं और आम जनता के लिए किये जा रहे कामों के बारे में खुलकर बात की. इस दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ की नक्सल समस्या पर भी अपने विचार रखे और नक्सलियों के खिलाफ उठाए जा रहे कदमों के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि नक्सल समस्या पर हमने चौतरफा वार किया है. अब हालात ये हैं कि हम नक्सलियों को उनकी मांद में घेरकर मार रहे हैं, जबकि पहले वे हमारे कैम्पों और थानों पर हमला करते थे.
वापस की आदिवासियों की जमीन
नक्सलवाद अभी छत्तीगढ़ से पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है. इस बात को भूपेश बघेल ने भी माना. उन्होंने कहा कि नक्सलवाद की समस्या अब राज्य में है, लेकिन हालात बेहतर हो रहे हैं. हमने आदिवासियों को उनकी ज़मीन वापस की है. इससे स्थिति में काफी बदलाव देखने को मिला है.
मोटे अनाज का रिकॉर्ड उत्पादन
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि देश में पहली बार ऐसा हुआ है कि 18 लाख हेक्टेयर ज़मीन गांव वालों को वापस की गई है. अब स्थिति ये है कि वनांचल में सबसे ज्यादा मिलेट्स का उत्पादन हो रहा है. महुआ, जो पिछली सरकार में 2 रुपये प्रति किलोग्राम बिकता था, वह अब 40 रुपये प्रति किलोग्राम में बिक रहा है. यहां तक की विदेश से भी कारोबारी आ रहे हैं. कुछ समय पहले इंग्लैंड से कारोबारी आए थे, जिन्होंने मिलेट्स का 116 रुपये प्रति किलोग्राम भाव दिया है.
नक्सलियों का कथित हेडक्वार्टर बना स्कूल
छत्तीसगढ़ शिक्षा के क्षेत्र में भी लगातार आगे बढ़ रहा है. भूपेश बघेल ने बताया कि सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी काम किया है. उन्होंने बताया कि यह पहली बार हुआ है कि अब छत्तीसगढ़ी भाषा में पोस्ट ग्रेजुएशन (MA) करने वालों को भी सरकार नौकरी दे रही है. मुख्यमंत्री ने बताया कि हमने हिन्दी और अंग्रेज़ी के साथ-साथ स्थानीय भाषा में भी पढ़ाई पर ज़ोर दिया है. जगरगुंदा, जो नक्सलियों का कथित तौर पर हेडक्वार्टर कहा जाता है, में भी भूपेश सरकार ने स्कूल शुरू किया है. 13 साल बाद ऐसा हुआ है और अब इस स्कूल में 350 से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं. मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उनकी सरकार ने हर ब्लॉक में कम से कम 4 से 5 स्कूल खोले हैं.
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