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This Article is From Apr 03, 2024

‘घड़ी’ चिह्न : कोर्ट ने अजित पवार की NCP से उसके आदेश के बाद जारी विज्ञापनों का ब्योरा मांगा

शरद पवार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि 19 मार्च को इस अदालत ने तर्कों के साथ एक आदेश पारित किया था, जिसमें उनसे (अजित पवार धड़े से) अखबारों में यह विज्ञापन जारी करने को कहा गया था कि ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न आवंटन का मामला अदालत में विचाराधीन है और उन्हें इस चिह्न के इस्तेमाल की अनुमति इस आधार पर दी गयी है कि यह शीर्ष अदालत के अंतिम फैसले के अधीन होगा.

‘घड़ी’ चिह्न :  कोर्ट ने अजित पवार की NCP से उसके आदेश के बाद जारी विज्ञापनों का ब्योरा मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से उसके आदेश के अनुपालन के तहत समाचार पत्रों में डिस्क्लेमर (दावा अस्वीकरण) के साथ जारी किये गये विज्ञापनों का ब्योरा देने को कहा. शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में राकांपा (अजित पवार गुट) को इस ‘डिस्क्लेमर' के साथ प्रचार करने का निर्देश दिया था कि पार्टी को ‘घड़ी' चुनाव चिह्न के आवंटन का मामला न्यायालय में विचाराधीन है.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले धड़े की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से जारी विज्ञापनों का विवरण देने को कहा. दरअसल, शरद पवार गुट ने आरोप लगाया था कि अजित पवार गुट अदालत के 19 मार्च के आदेश का अनुपालन नहीं कर रहा है.

इस पर पीठ ने कहा, ‘‘रोहतगी, आप इस संबंध में (अपने मुवक्किल से) जानकारी हासिल कीजिए कि इस आदेश के बाद कितने विज्ञापन जारी हुए. यदि वह (अजित पवार) इस प्रकार का बर्ताव कर रहे हैं तो हमें इस पर फैसला करना पड़ेगा. किसी को भी जानबूझकर हमारे आदेश का गलत मतलब निकालने का अधिकार नहीं है.''

शरद पवार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि 19 मार्च को इस अदालत ने तर्कों के साथ एक आदेश पारित किया था, जिसमें उनसे (अजित पवार धड़े से) अखबारों में यह विज्ञापन जारी करने को कहा गया था कि ‘घड़ी' चुनाव चिह्न आवंटन का मामला अदालत में विचाराधीन है और उन्हें इस चिह्न के इस्तेमाल की अनुमति इस आधार पर दी गयी है कि यह शीर्ष अदालत के अंतिम फैसले के अधीन होगा.

सिंघवी ने कहा, ‘‘अब, उन्होंने निर्देश का अनुपालन नहीं किया है और उनके द्वारा बिना ‘डिस्क्लेमर' के विज्ञापन जारी किये जा रहे हैं. उन्होंने इस अदालत के समक्ष एक आवेदन भी दायर किया है, जिसमें इस आदेश में छूट दिये जाने का अनुरोध किया गया है. इसे बदला नहीं जा सकता.''

उन्होंने अदालत से आदेश की समीक्षा के लिए ऐसे किसी भी आवेदन पर विचार नहीं करने का आग्रह किया और कहा कि चुनाव जारी है. पीठ ने रोहतगी से आवेदन के बारे में पूछा कि यह सूचीबद्ध है या नहीं.

रोहतगी ने जवाब दिया कि यह सूचीबद्ध नहीं है और वे आदेश में केवल एक पंक्ति में संशोधन का अनुरोध कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने (शरद पवार गुट) ने दावा किया है कि उच्चतम न्यायालय ने मामले का फैसला किया है.

सिंघवी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, ‘‘किसी भी अखबार में यह ‘डिस्क्लेमर' नहीं दिया जा रहा है और अदालत के आदेश का मजाक बनाया गया है.'' पीठ ने रोहतगी से 19 मार्च के बाद अजित पवार के नेतृत्व वाले धड़े द्वारा प्रकाशित विज्ञापनों की संख्या और ब्योरा देने को कहा. न्यायालय ने यह भी कहा कि उसका आदेश सरल भाषा में है और इसकी किसी अन्य प्रकार से व्याख्या नहीं की जा सकती.

उच्चतम न्यायालय ने 19 मार्च को शरद पवार गुट को आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में ‘‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार)'' के तौर पर इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी थी. न्यायालय ने वरिष्ठ नेता शरद पवार की अगुवाई वाले धड़े को चुनाव चिह्न (‘तुरही बजाता आदमी') के इस्तेमाल की भी अनुमति दे दी थी.

न्यायालय ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार नीत पार्टी के धड़े से अंग्रेजी, हिंदी और मराठी में अखबारों में यह सार्वजनिक नोटिस जारी करने को कहा था कि ‘घड़ी' चुनाव चिह्न आवंटन का मुद्दा अदालत में विचाराधीन है और इस चिह्न की अनुमति इस आधार पर दी जाती है कि यह न्यायालय के अंतिम फैसले के अधीन होगा.

पीठ ने अजित पवार नीत धड़े से चुनाव से संबंधित सभी दृश्य-श्रव्य विज्ञापनों और बैनर तथा पोस्टर आदि में भी इसी तरह की घोषणा करने को कहा था. अजित पवार पिछले साल जुलाई में पार्टी के कई विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए थे, जिससे राकांपा दो धड़ों में विभाजित हो गई थी.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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