सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को उस समय CJI बेंच समेत सभी लोग हैरान हो गए जब पता चला कि पटना हाईकोर्ट के सात जजों के GPF खाते बंद कर दिए गए हैं. सातों जजों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मदद की गुहार लगाई है. याचिकाकर्ता जजों की ओर से पेश वकील प्रेम प्रकाश ने जल्द सुनवाई की मांग की. जैसे ही CJI डी वाई चंद्रचूड़ को पता चला वो हैरान हो गए, उन्होंने कहा- क्या ? जजों के GPF खाते बंद? हम शुक्रवार को सुनवाई करेंगे.
दरअसल पटना हाईकोर्ट के सात जजों ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में शिकायत की है कि उनके सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) खातों को कानून और न्याय मंत्रालय से प्राप्त राय के आधार पर बिहार के अकाउटेंट जनरल द्वारा बंद कर दिया गया है, जिससे पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों पर संशय हो गया है.
जस्टिस शैलेंद्र सिंह, जस्टिस अरुण कुमार झा, जस्टिस जितेंद्र कुमार, जस्टिस आलोक कुमार पांडेय, जस्टिस सुनील दत्ता मिश्रा, जस्टिस चंद्र प्रकाश सिंह और जस्टिस चंद्र शेखर झा ने ये याचिका दाखिल की है. इन जजों को अप्रैल 2010 में बिहार की सुपीरियर न्यायिक सेवाओं के तहत सीधी भर्ती के रूप में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्हें पिछले साल हाईकोर्ट के जजों के रूप में नियुक्त किया गया था. जब वे न्यायिक अधिकारी थे, तब राष्ट्रीय पेंशन योजना यानी NPS का हिस्सा थे.
साल 2016 में, बिहार सरकार ने एक नीति बनाई थी कि नई पेंशन योजना से पुरानी पेंशन योजना में जाने वाले लोग अपनी NPS योगदान राशि वापस पाने के हकदार होंगे. इसे या तो उनके बैंक खाते में रखा जा सकता है या GPF खाते में जमा किया जा सकता है. हाईकोर्ट जज नियुक्त होने पर, उन्हें एक-एक GPF खाता दिया गया, जहां उन्होंने NPS योगदान राशि को वापस लेने के बाद जमा किया. पिछले साल नवंबर में, इन जजों द्वारा बिहार के अकाउंटेंट जनरल ने कानून और न्याय मंत्रालय से NPS योगदान को GPF में ट्रांसफर करने की वैधता के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था. मंत्रालय की राय के बाद इनके GPF खाते बंद कर दिए गए.
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