उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. विपक्षी दलों ने अब यूपी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. सपा और कांग्रेस ने मांग की है कि बिना आरक्षण निकाय चुनाव नहीं कराए जाएं. इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि सरकार आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएगी.
मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में भी कहा गया, "उत्तर प्रदेश सरकार नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन को लेकर आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएगी. इसके बाद ही नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन को सम्पन्न कराया जाएगा. जरूरी हुआ तो राज्य सरकार माननीय उच्च न्यायालय के फैसले के क्रम में तमाम कानूनी पहलुओं पर विचार करके सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी करेगी."
हाईकोर्ट के इस फैसले पर उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री एके शर्मा ने कहा कि हम ओबीसी सर्वे कराएंगे. ये सर्वे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर होगा. सर्वे पूरा होने के बाद हम चुनाव में उतरेंगे. वहीं उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो हम सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे.
गौरतलब है कि कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि इस बार बगैर आरक्षण के निकाय चुनाव करवाए जाएं. उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव को लेकर अदालत का कहना है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट की तरफ से निर्धारित ट्रिपल टेस्ट ना हो, तब तक आरक्षण को लागू नहीं किया जाए. हाईकोर्ट ने 2017 के ओबीसी रैपिड सर्वे को नकार दिया है. हाईकोर्ट ने निकाय चुनावों के लिए 5 दिसंबर को जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को भी खारिज किया है.
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