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This Article is From Dec 10, 2019

Citizenship Amendment Bill: पी. चिदंबरम का मोदी सरकार पर हमला, कहा- BJP को बहुमत देने की कीमत चुका रही जनता

नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) लोकसभा में पारित हो चुका है.विपक्षी दलों के नेता इसका जमकर विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम (P Chidambaram) ने इस बिल को लेकर तीन ट्वीट करते हुए मोदी सरकार पर हमला बोला है.

Citizenship Amendment Bill: पी. चिदंबरम का मोदी सरकार पर हमला, कहा- BJP को बहुमत देने की कीमत चुका रही जनता
पी. चिदंबरम ने नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला
नई दिल्ली:

नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) लोकसभा में पारित हो चुका है. सोमवार रात इस बिल को लेकर सदन में वोटिंग हुई और 311 वोटों से यह पास हो गया. विधेयक के विरोध में 80 वोट पड़े. विपक्षी पार्टियां इस बिल का पुरजोर विरोध कर रही हैं. कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने मंगलवार सुबह एक के बाद एक तीन ट्वीट के जरिए मोदी सरकार पर हमला बोला है.

पी. चिदंबरम ने ट्वीट किया, ''जब वोटर कांग्रेस उम्मीदवारों को तब वोट देंगे जब वह कांग्रेस के साथ हो और तब भी जब वह बीजेपी में चले जाए, तो क्या हम यह कह सकते हैं कि भारतीय राजनीति ने ऐसी श्रेष्ठता और रूपहीनता हासिल कर ली है जो भारत को स्वर्ग बनाती है. नागरिकता संशोधन बिल असंवैधानिक है. संसद एक विधेयक पारित करती है जो स्पष्ट तौर पर असंवैधानिक है. जिसके बाद युद्ध का मैदान उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित हो जाता है.''

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पी. चिदंबरम ने आगे लिखा, 'निर्वाचित सांसद वकीलों और न्यायाधीशों के पक्ष में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह कर रहे हैं. हम एक पार्टी को बहुमत देने के लिए ये कीमत अदा कर रहे हैं. वह (पार्टी) राज्यों और लोगों की इच्छाओं को रौंदने का काम कर रही है.'

आपको बता दें कि आईएनएक्स मीडिया मामले में हाल ही में पी. चिदंबरम को जमानत पर रिहा किया गया है. वह करीब तीन महीने से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद थे. बाहर आते ही उन्होंने खुद को बेकसूर बताते हुए मोदी सरकार पर बदले की कार्रवाई का आरोप लगाया था.

दूसरी ओर नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर पूर्वोत्तर राज्यों में जोरदार प्रदर्शन हो रहे हैं. असम में मंगलवार को इस बिल के खिलाफ छात्र संगठनों ने 12 घंटे का बंद बुलाया गया है. गौरतलब है कि प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में रहने वाले हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी समुदायों के सदस्य, जो वहां धार्मिक उत्पीड़न की वजह से 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए थे, उन्हें अवैध अप्रवासी या घुसपैठिया नहीं माना जाएगा.

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