नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) को लेकर बुधवार को राज्यसभा (Rajya Sabha) में मोदी सरकार (Modi Govt) की अग्निपरीक्षा है. लोकसभा से यह बिल पारित हो चुका है. आज इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा. इस समय सदन में इसपर चर्चा चल रही है. इस दौरान कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने कहा, 'पिछले कुछ सालों से इस बिल को लेकर चर्चा हो रही है. साल 2016 में भी यह बिल लाया गया था लेकिन उसमें और इसमें काफी अंतर है. मैंने गृह मंत्री को आज भी सुना और दूसरे सदन में भी सुना था. उनका कहना है कि सबसे बातचीत हो चुकी है. जांच पड़ताल हो चुकी है. मैं इससे सहमत नहीं हूं. इसकी स्क्रूटनी होनी चाहिए. आप कह रहे है कि यह ऐतिहासिक बिल है, इतिहास इसको किस नजरिए से देखेगा, यह वक्त बताएगा. इस बिल को लेकर इतनी जल्दबाजी क्यों है. इसे पार्लियामेंट्री कमेटी को भेजे, दोबारा से दिखवाते, अगले सत्र में लेकर आते लेकिन सरकार जिद्द कर रही है. वह इसको लेकर ऐसे कर रही है, जैसे भारत पर कोई विपत्ति आ रही हो. ऐसा पिछले 72 सालों में नहीं देखने को मिला. हमारा विरोध राजनीतिक नहीं, बल्कि संवैधानिक और नैतिक है. यह भारतीय संविधान की नींव पर हमला है. यह भारत की आत्मा पर हमला है. यह संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है.'
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने सदन में कहा कि इस नागरिकता संशोधन बिल से पूरे देश में असुरक्षा की भावना भर गई है. लोगों के मन में आशंका है. अगर ऐसा है तो क्या पूरे भारत में डिटेंशन सेंटर बनेंगे? यह अन्याय होगा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यहां पुर्नजन्म पर विश्वास किया जाता है. उन्होंने कहा कि सरदार पटेल अगर मोदी जी से मिलेंगे तो काफी नाराज होंगे. आनंद शर्मा ने तंज कसते हुए कहा कि गांधी जी का चश्मा सिर्फ विज्ञापन के लिए नहीं है.
आनंद शर्मा ने सदन में बिल के विरोध में अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि यह बिल भारत के संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. संविधान की प्रस्तावना में ही धर्मनिरपेक्षता का जिक्र है, यह उस मूल भावना के भी खिलाफ है. अपने भाषण के दौरान आनंद शर्मा ने महात्मा गांधी का जिक्र किया और कहा कि उनका कहना था कि मेरा घर ऐसा हो जहां कोई दीवार न हो, जहां सभी धर्म के अनुयायी हो.
इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में नागरिक संशोधन बिल पेश करते हुए कहा कि यह बिल देश के मुसलमानों के खिलाफ नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारे तीनों पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान इस्लामिक देश है. वहां मुस्लिम बहुलसंख्यक हैं. इसलिए जो नागरिकता संशोधन बिल पेश किया गया है उसमें हिंदू, सिख, जैन, बौध, पारसी और ईसाई को भारत की नागरिकता देने की बात की गई है. इस बिल के पास होने से इन समुदायों के लोगों को जो कि 31 दिसंबर, 2014 से पहले यहां रह रहे हैं उनको भारत की नागरिकता मिल जाएगी. जो नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं उनको मुक्ति मिल जाएगी. अमित शाह के बिल पेश के करने के बाद कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने इस बिल के विरोध में सदन में अपना पक्ष रखा.
कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने आगे कहा, 'जो संशोधन आप लेकर आए हैं वो नई बात नहीं है. नागरिकता पर 9 बार संशोधन हुआ है लेकिन जो हमारा संविधान है उसमें कभी कोई परिवर्तन नहीं हुआ. संविधान की आत्मा से कभी छेड़छाड़ नहीं की गई. किसी भी संशोधन में धर्म को आधार नहीं बनाया गया. इतिहास बड़ा महत्व रखता है. आपने दूसरे सदन में बंटवारे का जिक्र किया. आपने इसका दोष उन लोगों पर लगाया जिन्होंने अंग्रेजों की जेलों में बरसों गुजारे. महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, मौलाना आजाद, सब लोग आजादी की लड़ाई में शामिल थे. विभाजन की पीड़ा पूरे देश को हुई. 1937 में हिंदू महासभा ने प्रस्ताव पारित किया था. टू नेशन थ्योरी कांग्रेस की थ्योरी नहीं थी.'
आनंद शर्मा ने कहा, '6 साल अटल बिहारी वाजपेयी भी इस देश के प्रधानमंत्री रहे हैं. नागरिकता पर उनके समय में भी चर्चा हुई थी. 126 साल में 4 बड़ी घटनाएं हुई हैं. 1973 में दसियों हजार लोग कत्ल कर दिए गए थे. महात्मा गांधी का सत्याग्रह भी 9 सितंबर को शुरू हुआ है. पूरी दुनिया स्वामी विवेकानंद का लोहा मानती है. उन्होंने 9 सितंबर, 1983 को भाषण दिया था. भारत सदियों से शरण देता रहा है. हिंसा का शिकार हुए लोगों को शरण दी. हम आपके जनादेश का सम्मान करते हैं. संविधान की शपथ सबने ली है. उस बारे में चर्चा जरूरी है. आपने कहा कि हमने सब समाधान कर दिया लेकिन आपने कुछ नहीं किया. आपने 11 साल से 7 साल कर दिया मगर आपने कुछ नहीं किया. आपने कहा कि एनआरसी पूरे देश में लाएंगे. असम में क्या हुआ, अगर आप अच्छा कर रहे हैं तो वहां के लोगों के मन में डर क्यों है.'
VIDEO: धार्मिक प्रताड़ितों के लिए है ये बिल: अमित शाह
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