
भारतीय रिजर्व बैंक (फाइल फोटो).
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CIC का RBI को आदेश
पीएम नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को की थी नोटबंदी
नोटबंदी के बाद 2000 और 500 रुपये के नये नोट जारी किये गये थे
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उन्होंने सूचना के अधिकार कानून के तहत नौ नवंबर से 30 नवंबर 2016 के बीव छापे गये 2,000 रुपये और 500 रुपये के नोट की संख्या के बारे में जानकारी मांगी थी. जानकारी प्राप्त करने में विफल रहने के बाद उन्होंने आयोग में अर्जी दी. आरबीआई की इकाई ने जवाब में कहा कि नोट छपाई एवं संबद्ध गतिविधियां काफी गोपनीय मामला है. इसमें कच्चे माल, छपाई, भंडारण, परिवहन आदि जैसे अहम ब्योरे जुड़े हैं तथा इसे लोगों के साथ साझा नहीं किया जा सकता है. अगर यह जानकारी दी जाती है तो इससे नकली नोट का प्रयास तथा आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होने की आशंका है. जवाब में यह भी दावा किया गया है कि आंकड़ों की घोषणा से देश की संप्रभुता और एकता, सुरक्षा, आर्थिक हित को प्रभावित करेगा.
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अत: इस प्रकार की सूचना आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (ए) के तहत नहीं देने से छूट है. भार्गव ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि रोजाना छपाई होने वाले नोट का आंकड़ा इतना संवेदनशील नहीं है जिसे आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (ए) के तहत छूट मिले. उन्होंने कहा कि यह नहीं माना जा सकता कि यह सूचना देने से छपाई से संबंधित कच्चे माल, भंडारण आदि की जानकारी का खुलासा होगा. सूचना देने का निर्देश देते हुए भार्गव ने कहा कि पुन: मुख्य सूचना अधिकारी यह बताने में नाकाम रहे कि किस प्रकार से यह सूचना देश के आर्थिक हित को प्रभावित करेगा.
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