
- MP और राजस्थान सरकारें कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामले में जांच रिपोर्ट आने तक किसी कार्रवाई से बच रही हैं
- MP के स्वास्थ्य मंत्री ने जांच में दवा में कोई जहरीला तत्व न मिलने की बात कहकर मौत का कारण अस्पष्ट बताया
- राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री ने दवा को सही बताया और बच्चों की मौत के लिए परिजनों की गलती को जिम्मेदार ठहराया
कफ सिरप से मासूमों की मौत पर मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकारें ज़िम्मेदारी से भाग रही हैं. मंत्री पहले ही दिन कफ सिरप पर क्लीन चिट दे देते हैं, फिर कहते हैं “रिपोर्ट का इंतज़ार है”, तो कभी परिजनों को ही दोषी ठहरा देते हैं. लेकिन तमिलनाडु ने दिखा दिया कि अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो 24 घंटे में जांच पूरी कर ज़हरीली दवा पर बैन लगाया जा सकता है. छिंदवाड़ा में नौ बच्चों की मौत हो चुकी है, राजस्थान में भी सवाल उठ रहे हैं, मगर मंत्री अब भी दवा को सही ठहरा रहे हैं और विभाग की भूमिका नकार रहे हैं. वहीं, तमिलनाडु ने उसी कंपनी की दवा की जांच की, 48.6% डाईएथिलीन ग्लाइकॉल ज़हर निकला और छुट्टियों के बावजूद एक ही दिन में कार्रवाई कर दी.
सवाल सीधा है तमिलनाडु बच्चों की ज़िंदगी बचाने के लिए 24 घंटे में कार्रवाई कर सकता है, तो मध्यप्रदेश और राजस्थान मौतों के बाद भी क्यों सिर्फ़ “रिपोर्ट का इंतज़ार” कर रहे हैं? मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ल जो राज्य के उपमुख्यमंत्री भी हैं शुक्रवार को परासिया से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी गोटेगांव पहुंचे थे. यहां उन्होंने कैबिनेट मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल की माताजी के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की और परिजनों से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया. लेकिन पीड़ित परिवारों से मिलने नहीं पहुंचे और बयान दिया.
उन्होंने कहा कि जो सैंपल भेजे गये उसमें कोई इस प्रकार के तत्व नहीं मिले जिससे कहा जा सके मौत इन दवाओं की वजह से हुई है. जो बाकी बची दवाएं हैं उनकी रिपोर्ट बाकी है ये बात सही है कि बच्चों की मौत हुई है लेकिन उसका कारण क्या है? भारत सरकार के जो लैब्स है उनकी रिपोर्ट प्राप्त करने के प्रयास कर रहे हैं. 12 प्रकार की सिरप जांच के लिए भेजी गई थीं, जिनमें से तीन की रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है.
इन रिपोर्ट में बच्चों की मौत की पुष्टि करने वाला कोई तत्व नहीं पाया गया है. उन्होंने कहा यदि कोई दवा प्रतिबंधित होती है तो वह बाजार में उपलब्ध नहीं होती, लेकिन इस बार दवाओं की किसी विशेष लॉट में गड़बड़ी की संभावना है.उन्होंने स्पष्ट किया कि विस्तृत जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति पूरी तरह स्पष्ट होगी. उसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
2 दिन पहले तो रीवा में स्वास्थ्य मंत्री ने कफ सिरप को क्लीन चिट देते हुए कहा था कि पूरा हमारा स्वास्थ्य विभाग का अमला उसपर नजर रखे हुए है स्थिति नियंत्रण में हैं जिन बच्चों की मृत्यु हुई है. उसकी रिपोर्ट आईसीएमआर उसकी रिपोर्ट नहीं आई थी कमिश्नर हेल्थ से मैंने बात की थी, अब कोई इस प्रकार के हादसे ना हों उसके लिये पूरा अमला सक्रिय है. कफ सिरप वाली जो बात आई थी वो निराधार हैं, कफ सिरप के कारण मौत नहीं हुई थी ये तय है.
वहीं, राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह ने कहा तो सीधे इसे परिजनों की गलती बताते हुए कहा स्वास्थ्य विभाग की इसमें कोई भूमिका ही नहीं है, दवा भी सही है दवा की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि दवा में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं है. जांच रिपोर्ट पर स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर कहा जिस दवा पर सवाल उठे हैं वो किसी सरकारी अस्पताल के डॉक्टर द्वारा लिखी या परामर्शित नहीं की गई थी. यह दवा बच्चों को उनके परिजनों के स्तर पर दी गई है. बच्चों के परिजनों ने इसे कही से भी खरीद कर दे दी. खींवसर ने कहा कि इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की कोई भूमिका नहीं है.
उधर, तमिलनाडु ने छुट्टियों के बावजूद, महज़ 24 घंटे में जांच पूरी हुई और साफ पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप के बैच SR-13 में 48.6% डाईएथिलीन ग्लाइकॉल जैसा जानलेवा ज़हर मिला है. वहां तुरंत अलर्ट जारी हुआ, उत्पादन रोका गया, कार्रवाई की गई. लेकिन मध्यप्रदेश-राजस्थान जहां नौ बच्चों की लाशें सवाल बनकर पड़ी हैं, वहां के स्वास्थ्य मंत्री अब भी दावा कर रहे हैं कि दवा में कुछ नहीं मिला.
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