कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने रविवार को कहा कि सरकार ने राजकोषीय सुधार की दिशा में कई कदम उठाने की बात कही है लेकिन आंकड़ें इससे अलग तस्वीर पेश करते हैं. उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के अंतिम वर्ष 2013-14 में राजकोषीय घाटा 4.5 प्रतिशत था, जबकि 2023-24 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के कार्यकाल में यह 5.8 प्रतिशत है. पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि राजग सरकार द्वारा किए गए राजकोषीय सुधार और 2023-24 में 5.8 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे ने सब कुछ बयां कर दिया है.
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि याददाश्त कमजोर होती हैं, इसलिए मैं विद्वान टिप्पणीकारों की यादों को ताजा कर सकता हूं. संप्रग के तहत 2007-08 में राजकोषीय घाटा 2.5 प्रतिशत था. संप्रग के अंतिम वर्ष (2013-14) में राजकोषीय घाटा 4.5 प्रतिशत था. राजग के अंतिम वर्ष (2023-24) में राजकोषीय घाटा 5.8 प्रतिशत है.'' कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि किसी भी शासन में उतार-चढ़ाव के दौर आते रहेंगे. चिदंबरम ने तर्क दिया, ‘‘अगर राजग महामारी के वर्षों (2020-21 और 2021-22) का हवाला देता है, तो संपग्र अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट (2008-09) और ‘टेपर टैंट्रम' (2013-14) के वर्षों का जिक्र कर सकता है.''
‘टेपर टैंट्रम' का आशय केंद्रीय बैंक द्वारा परिसंपत्ति खरीद को धीमा करने से संबंधित है. चिदंबरम ने कहा, ‘‘कहानी का सार: अर्थशास्त्र में बेतुकी बातों के लिए कोई जगह नहीं है.'' बृहस्पतिवार को संसद में अंतरिम बजट पेश होने के बाद, विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि अर्थव्यवस्था और शासन के प्रति सत्तारूढ़ राजग का दृष्टिकोण अमीरों के पक्ष में झुका हुआ है. कांग्रेस ने कहा कि बजट में न तो हर साल दो करोड़ नौकरियों के वादे के बारे में बात की गई, न ही महंगाई को काबू में करने, किसानों की आय दोगुनी के बारे में कुछ कहा गया.
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