धन शोधन निरोधक कानून यानी पीएमएलए के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली छत्तीसगढ़ सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 4 मई को सुनवाई करेगा. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से PMLA कानून के कुछ सेक्शन की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और समीर सौंढी ने सुप्रीम कोर्ट से मामले में जल्द सुनवाई की गुहार लगाई.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एस रविंद्र भट्ट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ इसी याचिका पर चार मई को सुनवाई के लिए तैयार हो गई है. सूट में धारा 17 (खोज और जब्ती), 50 (समन, दस्तावेजों को पेश करने और सबूत देने आदि के बारे में अधिकारियों की शक्तियां), 63 (गलत सूचना या सूचना देने में विफलता आदि के लिए सजा) और धारा 71 ( ओवराइडिंग प्रभाव) के बारे में संवैधानिक सवाल उठाया गया है और इसे संविधान के विपरीत बताया गया है.
पिछले साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए यानी प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट(PMLA) पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए प्रवर्तन निदेशालय यानी यानी ईडी के कई अधिकारों की पुष्टि की थी. प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से दर्ज केस में फंसे लोगों को झटका देते हुए कोर्ट ने पीएमएलए कानून के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा है कि 2018 में कानून में किए गए संशोधन सही हैं. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सभी अधिकारों को बरकरार रखा. इस साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के एक विधायक गोविंद सिंह की अर्जी पर पीएमएलए की धारा 17, 50, 63 और 71 को दी गई चुनौती वाली याचिका पर विचार करने को अपनी मंज़ूरी दे दी थी. छत्तीसगढ़ सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत मौलिक सूट दाखिल किया है. ये अनुच्छेद से केंद्र और राज्य या राज्यों के बीच विवाद सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जाने और सुप्रीम कोर्ट को इसे सुनने व फैसला देने का अधिकार मिलता है.
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