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This Article is From May 03, 2024

छत्तीसगढ़ आबकारी घोटाला : ईडी ने 205 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियां कुर्क कीं

ईडी का दावा है कि टुटेजा की 'मिलीभगत' के परिणामस्वरूप राज्य के राजस्व को 'भारी नुकसान' हुआ और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेबें अपराध से अर्जित 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध आय से भर गईं.

छत्तीसगढ़ आबकारी घोटाला : ईडी ने 205 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियां कुर्क कीं
ईडी ने कहा कि अनवर ढेबर की कुर्क की गई संपत्तियों में रायपुर का होटल वेनिंगटन कोर्ट शामिल है.
नई दिल्ली:

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कहा कि उसने छत्तीसगढ़ में कथित आबकारी घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के तहत सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, रायपुर के महापौर के बड़े भाई व अन्य व्यक्तियों की 205 करोड़ रुपये मूल्य से अधिक की संपत्ति कुर्क की है. जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा कि कुर्क की गई संपत्तियों में टुटेजा की 15.82 करोड़ रुपये की 14 संपत्तियां, रायपुर के महापौर व कांग्रेस नेता ऐजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर की 116.16 करोड़ रुपये की 115 संपत्तियां, विकास अग्रवाल उर्फ ​​सुब्बू की 1.54 करोड़ रुपये की संपत्तियां और अरविंद सिंह की 12.99 करोड़ रुपये की 33 संपत्तियां शामिल हैं.

बयान के अनुसार, भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) के अधिकारी और आबकारी विभाग के विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी की 1.35 करोड़ रुपये की संपत्ति, त्रिलोक सिंह ढिल्लों की 28.13 करोड़ रुपये की नौ संपत्तियां, नवीन केडिया के 27.96 करोड़ रुपये के आभूषण और आशीष सौरभ केडिया/दिशिता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड की 1.2 करोड़ रुपये की चल संपत्ति कुर्क की गई है.

ईडी ने कहा कि अनवर ढेबर की कुर्क की गई संपत्तियों में रायपुर का होटल वेनिंगटन कोर्ट शामिल है. कुर्क की गईं 18 चल और 161 अचल संपत्तियों की कुल कीमत 205.49 करोड़ रुपये है. ईडी ने टुटेजा को इस मामले में हाल ही में गिरफ्तार किया था. ईडी का आरोप है कि शराब की अवैध बिक्री के माध्यम से मिले कमीशन को 'राज्य के सर्वोच्च नेताओं के निर्देशों के अनुसार' साझा किया गया था. 2003 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी टुटेजा को इस मामले में हाल ही में ईडी ने गिरफ्तार किया था और एजेंसी ने उन्हें छत्तीसगढ़ में सक्रिय शराब सिंडिकेट का “सरगना” कहा था.

एजेंसी ने पहले जारी एक बयान में दावा किया था कि उसने सबूत इकट्ठा किए हैं, जिनसे पता चला है कि टुटेजा 'आधिकारिक तौर पर आबकारी विभाग का हिस्सा नहीं थे, फिर भी वह इस विभाग के संचालन में सक्रिय रूप से शामिल थे.”

ईडी का दावा है कि टुटेजा की 'मिलीभगत' के परिणामस्वरूप राज्य के राजस्व को 'भारी नुकसान' हुआ और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेबें अपराध से अर्जित 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध आय से भर गईं. ईडी ने दावा किया कि टुटेजा को भी इस लूट में बड़ा हिस्सा मिला. आईएएस अधिकारी टुटेजा पिछले साल छत्तीसगढ़ के उद्योग और वाणिज्य विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर रहते हुए सेवानिवृत्त हुए थे.

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