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This Article is From Jul 02, 2022

छत्तीसगढ़ : दर्जी हत्याकांड के विरोध में बजरंग दल के बंद का दिखा असर, कई शहरों के बाजार में सन्नाटा

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लेकर बिलासपुर, कवर्धा, महासमुंद, कोरिया, कांकेर, राजनांदगांव सहित प्रदेश के अन्य शहरों में दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद रखी हैं.

छत्तीसगढ़ : दर्जी हत्याकांड के विरोध में बजरंग दल के बंद का दिखा असर, कई शहरों के बाजार में सन्नाटा
व्यापारिक संगठन ने बंद को पहले से समर्थन दिया हुआ है. (फाइल फोटो)
रायपुर:

राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की हत्या के विवाद जारी है. देश के विभिन्न हिस्सों में लोग जघन्य हत्याकांड के प्रति आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं. इसी क्रम में छत्तीसगढ़ में विरोध तेज हो गया है. विश्व हिन्दू परिषद व बजरंग दल के बंद की अपील पर शनिवार को प्रदेश के शहरी क्षेत्र में व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद नजर आ रहे हैं. राजधानी रायपुर के व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद हैं. व्यापारिक संगठन ने बंद को पहले से समर्थन दिया हुआ है.

समर्थन देने की अपील करते आए नजर

राजधानी रायपुर से लेकर बिलासपुर, कवर्धा, महासमुंद, कोरिया, कांकेर, राजनांदगांव सहित प्रदेश के अन्य शहरों में दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद रखी हैं. बंद को सफल बनाने के लिए बीजेपी, बजरंग दल और समर्थित संगठनों के कार्यकर्ता सुबह से ही शहर के बाजार, स्कूल और अन्य संस्थानों में जाकर समर्थन देने की अपील करते नजर आए.

गौरतलब है कि 48 साल के कन्हैया लाल की मंगलवार को दो लोगों ने हत्या कर दी थी. अपराधियों ने हत्या का वीडियो भी बनाया था, जिसे उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर किया था. वहीं, बाद में हत्यारोपी रियाज़ अख्तरी और ग़ौस मोहम्मद ने एक और वीडियो डाला जिसमें उन्होंने हत्या करने की बात कबूली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगला निशाना बनाने की धमकी भी दी. फिलहाल दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है. उनके अतिरिक्त पांच अन्य को हिरासत में लिया गया है. दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

आरोपियों द्वार लगातार दी जा रही थी धमकी

गौरतलब है कि निलंबित बीजेपी नेता नूपुर शर्मा जिसकी पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी से बड़े पैमाने पर आक्रोश फैल गया के समर्थन में एक सोशल मीडिया पोस्ट करने पर दर्जी की हत्या की गई है. उसे आरोपियों द्वार लगातार धमकी दी जा रही थी. धमकी देने की शिकायत उसने पुलिस को की थी. लेकिन उसके बाद कन्हैया लाल को सुरक्षा प्रदान नहीं किया गया. परिणामस्वरूप उसकी हत्या हो गई. इस कारण उदयपुर पुलिस आलोचनाओं के घेरे में आ गई है.

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