
- बस्तर क्षेत्र में नक्सलवाद खत्म होकर विकास की नई राह शुरू हो गई है और हिंसा के स्थान पर शांति का माहौल बन रहा
- केंद्र सरकार ने नक्सलवाद खत्म करने के लिए 2026 तक की डेडलाइन तय कर सुरक्षा बलों द्वारा बड़े अभियान तेज किए हैं
- बस्तर में 52000 करोड़ रुपये की निवेश परियोजनाएं विभिन्न क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने के लिए लागू की गई
छत्तीसगढ़ की दिवाली इस बार कुछ ख़ास है, क्योंकि बस्तर बदल रहा है. बस्तर के अंदरूनी क्षेत्र में इस बार गोली की जगह पटाखों की गूंज और घर रोशन दिख रहे है. दरअसल, छत्तीसगढ़ लाल आतंक का अभेद किला ढह रहा है. बस्तर की हिंसा और भय की पहचान खत्म हो रही है. बस्तर अब विकास और बदलाव की नई कहानी लिख रहा है. जंगलों में गूंजती गोलियों की आवाज अब सड़कों के निर्माण, पुलों की ढलाई में बदल रही है. अंदरूनी इलाकों में बच्चे फिर से पढ़ने स्कूल जाने लगे है. ककहरा, गिनती सीखते बच्चे दिखाई देने लगे है. ये सब तब संभव होना शुरू हुआ जबसे पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री ने नक्सलवाद को खत्म करने का संकल्प ही नही लिया, बल्कि 31 मार्च 2026 तक माओवाद खत्म करने की डेडलाइन तय कर दी. अमित शाह के संकल्प के बाद दिसंबर 2023 से बस्तर में नक्सल विरोधी अभियान तेज कर दिया गया. सुरक्षा बलों नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में माओवादी संगठन के महासचिव बसव राजू समेत 450 स ज्यादा मारे गए 1500 से ज्यादा माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके है. 15 अक्टूबर से लेकर 18 अक्टूबर के बीच 300 से ज्यादा माओवादी विकास की मुख्यधारा से जुड़ने पुनर्वास किया है और बड़ी संख्या में जल्द माओवादी पुनर्वास करने तैयार है. इसलिय ये दिवाली बेहद खास है.
52000 करोड़ के निवेश परियोजनाओं से चमकेगी तस्वीर
बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्र के विकास के लिए सरकार ने 52,000 करोड़ रुपये की योजनाएं तैयार की हैं. बस्तर में खनन, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, पर्यटन, खाद्य प्रसंस्करण व एमएसएमई क्षेत्र में निवेश हो रहा है. इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र से सबसे बड़ा निवेश एनएमडीसी की 43,000 करोड़ की परियोजनाएं हैं, रेलवे और सड़क निर्माण में भी निवेश चल रहा है.

सरकार की नई उद्योग नीति का दिख रहा असर
छत्तीसगढ़ सरकार की नई औद्योगिक नीति ने बस्तर में औद्योगिक निवेश, रोजगार और सामाजिक विश्वास का केंद्र बनाने का रास्ता खोल दिया है. बस्तर की ढोकरा कला, घड़वा धातु कला, बांस और लकड़ी के सजावटी सामान, वस्त्र और स्थानीय हस्तशिल्प को विश्व के पटल में पहचान दिलाने नई औद्योगिक नीति प्रावधान किए गए है. जनजातीय हस्तशिल्प और कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन देकर उन्हें बस्तर के अपने ब्रांड रूप में स्थापित किया जा रहा है. स्थानीय बुनकरों, शिल्पकारों और महिला कारीगरों को उद्योग स्थापित करने में प्राथमिकता और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जा रही है.

पर्यटन और संस्कृति की नई उड़ान
बस्तर की खूबसूरती को दुनिया के मानचित्र में स्थापित करने पहल शुरू हो चुकी है. सरकार ने अब पर्यटन को औद्योगिक नीति का हिस्सा बनाकर होमस्टे, ईको-टूरिज़्म और सांस्कृतिक महोत्सवों को बढ़ावा दिया है. महत्वपूर्ण यह है, कि इन योजनाओं से सीधे जनजातीय समुदायों को भागीदार बनाया जा रहा है. उनके नृत्य, गीत, त्यौहार और कला को पर्यटन से जोड़कर आय के नए अवसर तैयार हो रहे हैं. बस्तर का यह बदलाव स्थानीय युवाओं को अपने ही जिले में रोजगार और उद्यमिता के अवसर देगा. पारंपरिक उत्पादों को आधुनिक तकनीक और मार्केटिंग से जोड़कर इन्हें वैश्विक बाजारों तक पहुंचाने की योजना तैयार है.

नक्सलवाद प्रभावित बस्तर में बजने लगी स्कूल की घंटियां
नक्सलवाद की वजह से बस्तर के अंदरूनी क्षेत्र के 300 से ज़्यादा बंद पड़े स्कूलों को फिर शुरू किए जा रहे है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर “स्कूल चलो अभियान” और “शिक्षा वापसी मिशन” शुरू किए गए. जिसके तहत 150 से ज़्यादा स्कूलों का पुनः शुरू किया गया है 15000 से अधिक बच्चों का दोबारा नामांकन स्कूलों में हुआ है. सुदूर क्षेत्रों में पूर्व-प्राथमिक से उच्च माध्यमिक विद्यालयों का निर्माण किया गया. स्कूल भवनों के साथ बिजली, जल और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं.
'स्कूल आवास योजना' के तहत शिक्षकों के लिए आवासीय सुविधाएं भी दी गईं. इतना ही नहीं जहां स्थायी स्कूल खोलना संभव नहीं है, वहां राज्य सरकार ने मोबाइल स्कूल व शिक्षण रथ चलाए. शिक्षकों को स्थानीय युवाओं से जोड़ा गया जो आदिवासी भाषा में पढ़ा सकते हैं.
'बेटी पढ़ाओ, बस्तर बढ़ाओ' मुहिम ने जनमानस में चेतना जगाई. डिजिटल सामग्री गोंडी, हल्बी, और अन्य स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध करवाई जा रही है.

नक्सल प्रभावित बस्तर में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार
बस्तर संभाग के प्रभावित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) का उन्नयन किया गया जिसके तहत 100 से अधिक PHC और CHC का जीर्णोद्धार किया गया. डॉक्टरों की स्थायी तैनाती करते हुए ऑनलाइन ड्यूटी मॉनिटरिंग और जन औषधि केंद्र खोले गए. मलेरिया-मुक्त बस्तर अभियान में डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग, निःशुल्क दवाएं, और मच्छरदानियों का वितरण किया जा रहा है. बस्तर संभाग में मलेरिया मामलों में 80% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई. एक समय ऐसा भी था की मलेरिया से कई परिवार उजड़ गए.
आयुष्मान भारत योजना के तहत 200 से अधिक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स स्थापित किए गए हैं, जहां सामान्य बीमारियों की जांच, इलाज और दवाएं निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही हैं.

बस्तर बनेगा खेलगढ़
नक्सलवाद का दंश झेल रहे बस्तर के लोगों को खेल से जोड़ने सरकार ने बस्तर ओलिंपिक की शुरुआत की, ताकि बस्तर के गांव के लोग बाहर आएं और देखे दुनिया कितनी खूबसूरत है. बस्तर ओलिम्पिक ने बस्तर संभाग के गांव-गांव को खेल-मंच से जोड़ा है. इसमें 7 जिलों और 32 विकासखण्डों के कुल करीब 1.65 लाख लोगों ने हिस्सा लिया. युवा, महिलाएं, दिव्यांग व आत्मसमर्पित पूर्व नक्सली भी इसमें शामिल हुए.
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