
- छत्तीसगढ़ के बस्तर में इस बार दीपावली जोश और उत्साह के साथ मनाई जाएगी
- पीएम मोदी ने NDTV वर्ल्ड समिट में वादा किया था कि इस बार माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में दीवाली खास होगी
- मोदी सरकार के 11 वर्षों में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर केवल 11 रह गई है
छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर में इस बार की दीपावली सिर्फ रोशनी और उत्सव की नहीं, बल्कि नक्सलवाद से मिली राहत की भी होगी. कई सालों तक आतिशबाजी और दीपावली के जश्न पर प्रतिबंध लगाने वाले नक्सलियों के मुख्यधारा में लौटने के बाद अब गांवों में खुलकर त्योहार मनाने की आज़ादी होगी. हाल ही में एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में भी पीएम मोदी ने कहा था कि वो दिन दूर नहीं जब देश नक्सलवाद से मुक्त होगा. बस्तर की दिवाली का जश्न पीएम मोदी के नक्सलमुक्त भारत की बात को सच साबित कर रहा है.
पीएम मोदी ने किया था खास दिवाली का वादा
PM नरेंद्र मोदी ने NDTV वर्ल्ड समिट 2025 में कहा था कि इस बार माओवादी आतंक से प्रभावित क्षेत्रों में दीवाली खास होने जा रही है. वो वर्षों बाद दीवाली देखेंगे. वे बोले- वो दिन दूर नहीं जब देश माओवादी आतंक से पूरी तरह मुक्त होगा. ये मोदी की गारंटी है. PM मोदी ने ये भी कहा था कि उनकी सरकार के 11 वर्षों में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर सिर्फ 11 रह गई है. उन्होंने यह भी खुलासा किया कि पिछले 75 घंटों में 303 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. उन्होंने कहा, “एक जमाने में जिनका थ्री नॉट थ्री चलता था, आज थ्री नॉट थ्री सरेंडर हुए हैं.”
बारूदों की जगह गूजेंगी पटाखों की आवाज
बस्तर के गांवों में पहले नक्सली आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाते थे, क्योंकि वे पटाखों का इस्तेमाल एक-दूसरे को संकेत देने के लिए करते थे. लेकिन इस बार यह डर और दबाव खत्म हो गया है. गांवों में दीप जलेंगे, पटाखे फूटेंगे और लोग खुलकर खुशियां मनाएंगे. स्थानीय लोगों का कहना है कि नक्सलवाद के पीछे हटने से अब विकास की रफ्तार तेज होगी. सड़कों, बिजली और अन्य मूलभूत सुविधाओं की पहुंच अब अंदरूनी इलाकों तक होगी.
बस्तर के लिए दिवाली नई शुरुआत
नक्सलियों का दबाव भी खत्म हो गया है. इस बार की दीपावली उत्तर बस्तर के लोगों के लिए सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत का प्रतीक होगी. शांति, विकास और स्वतंत्रता की ओर बढ़ते कदमों की रौशनी में नहाई हुई दीपावली. एनडीटीवी समिट में PM मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि उनके शासन में अर्बन नक्सल इकोसिस्टम हावी था, जो माओवादी आतंक की घटनाओं को दबाने का काम करता था. उन्होंने बताया कि माओवादी हिंसा के शिकार लोग दिल्ली आकर हाथ जोड़कर अपनी बात देश तक पहुंचाने की गुहार लगा रहे थे.
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