दिल्ली हाईकोर्ट ने यमुना नदी में छठ पूजा की इजाजत देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा है वहां बीमारी का खतरा है, इसलिए इजाजत नहीं दे सकते. ये प्रतिबंध यमुना नदी में प्रदूषण के उच्च स्तर की वजह से लगाया गया है. ऐसे जहरीले पानी में नहाकर लोग बीमार पड़ सकते हैं.
बता दें कि मंगलवार को छठ पूजा के पहले दिन श्रद्धालुओं ने यमुना नदी किनारे जहरीले झाग की मोटी परतों के बावजूद इसमें स्नान किया. कालिंदी कुंज क्षेत्र में श्रद्धालुओं ने प्रदूषित नदी में स्नान किया, जिससे स्वास्थ्य और सुरक्षा संबंधी चिंताएं उत्पन्न हो गईं. छठ सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित है और इसे चार दिनों की कठोर दिनचर्या के साथ मनाया जाता है. पहला दिन, जिसे “नहाय-खाय” के नाम से जाना जाता है, एक शुद्धिकरण अनुष्ठान है जहां भक्त स्नान करते हैं, नए कपड़े पहनते हैं, और “चना दाल” और “कद्दू भात” जैसा प्रसाद तैयार करते हैं.जहरीले झाग की मौजूदगी यमुना में प्रदूषण के कारण उत्पन्न चुनौतियों को उजागर करती है, जिससे श्रद्धालुओं के लिए स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ जाती हैं.
राष्ट्रीय राजधानी में छठ पूजा के लिए घाटों की तैयारी को लेकर सत्तारूढ़ आप और विपक्षी भाजपा के बीच कई दिनों से राजनीतिक लड़ाई चल रही है. दिल्ली के पूर्वांचली समुदाय के लिए छठ पूजा एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जिसमें उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के भोजपुरी भाषी निवासी शामिल हैं। यह समुदाय दिल्ली में मतदाताओं के 30-40 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है, जहां अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं. दिल्ली सरकार ने भी छठ पूजा के उपलक्ष्य में सात नवंबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है.
(इनपुट्स भाषा से भी)
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