ISRO ने श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 का सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है. चांद पर यह भारत का तीसरा मिशन है.चंद्रयान-3 मिशन में ISRO के एक हजार से ज्यादा वैज्ञानिकों ने काम किया है. इसमें प्रोपल्शन मोड्यूल है. साथ ही इसमें विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर भी है. चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्य चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने का है. ISRO चंद्रयान-3 मिशन की मदद से चांद से जुड़ी कई अहम जानकारियां इकट्ठा करने की कोशिश में जुटा है. चंद्रयान-3 40 दिनों में 3.80 लाख किमी का सफर तय कर चांद पर पहुंचेगा. बता दें कि इससे पहले सितंबर 2019 में चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडर ‘विक्रम' चांद की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. यह भारत के लिए बड़ा झटका था. चांद पर यान उतारने की ISRO की पहली कोशिश नाकाम हो गई थी.
ISRO चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराने की कोशिश करेगा.सफल लैंडिंग होने के बाद लैंडर चांद पर रोवर को तैनात करेगा. बता दें कि इस मिशन के लिए भारत का सबसे भारी रॉकेट एलवीएम3 का इस्तेमाल किया जा रहा है. चंद्रयान-3 के चांद की सतह पर उतरते ही भारत ऐसा करने वाले विश्व के चार देश की सूची में शामिल हो जाएगा.
क्या है मिशन का उद्देश्य
चंद्रयान-3 का उद्देश्य चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने का है. इस मिशन का उद्देश्य चांद पर इसरो द्वारा तैयार रोवर के प्रदर्शन को देखना भी है. साथ ही चंद्रयान-3 का लक्ष्य चांद पर कुछ वैज्ञानिक प्रयोग करना भी है. चंद्रयान-3 मिशन का मकसद चांद की सतह पर सेफ लैंडिंग की क्षमता का प्रदर्शन करना है. वहां चहलकदमी करके यह साबित करना है कि इसरो और भारत, चांद पर कोई भी मिशन भेजने में समक्ष हैं.चंद्रयान-3 मिशन में स्वेदशी लैंडर, प्रोपल्शन मॉड्यूल और रोवर शामिल हैं.
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