दिल्ली के पास नए केंद्रीय कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समूहों ने इस सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में एक प्रमुख सुनवाई से पहले लामबंद होने का आह्वान किया है. हो सकता है कि उनकी साल भर से जारी नाकेबंदी का अंत हो जाए. किसान नेताओं ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के प्रदर्शनकारियों से दिल्ली की सीमाओं पर अधिक से अधिक संख्या में आंदोलन में शामिल होने का आग्रह किया है.
SKM is calling
— Tractor2ਟਵਿੱਟਰ (@Tractor2twitr) October 19, 2021
Farmers need us
Whom are we waiting for
Lets rush to Delhi borders
Chalo Delhi
ਚਲੋ ਦਿੱਲੀ
चलो दिल्ली#FarmersProtest pic.twitter.com/FwNcMXVwFj
इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह इस गुरुवार की जांच करेगा कि क्या विरोध करने का अधिकार है. कोर्ट यह भी जानेगा कि क्या किसानों को सड़कों पर उतरने का अधिकार है, तब जबकि उनके विरोध के मूल में जो तीन नए कृषि कानून का मुद्दा है, वह कोर्ट में विचाराधीन है.
अदालत ने तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत के बाद धरने पर बैठे धरने पर तीखा सवाल उठाया था. केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि किसानों का कोई और विरोध प्रदर्शन नहीं हो सकता क्योंकि लखीमपुर खीरी जैसी घटनाओं की इजाजत नहीं दी जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट एक किसान समूह की याचिका पर जवाब दे रहा था जो दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन करना चाहता है. केंद्र सरकार ने इसका विरोध करते हुए यूपी हिंसा का जिक्र किया था.
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा, "लखीमपुर खीरी में हुई घटना... आठ की मौत हो गई. विरोध इस तरह नहीं हो सकता." उन्होंने कहा कि जब कानून पहले से ही अपना काम कर रहा है, तो विरोध प्रदर्शन नहीं चल सकता. इससे दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दिया: "जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेता है. जान-माल के नुकसान की कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेता है."
राजस्थान के एक किसान समूह ने जंतर मंतर पर 200 किसानों के साथ "सत्याग्रह" शुरू करने की अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. अदालत ने पहले "शहर का गला घोंटने" के लिए विरोध कर रहे किसान समूहों को फटकार लगाई थी. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को एक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था कि वह राजमार्गों को अवरुद्ध करने वाले समूहों का हिस्सा नही है.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय में कृषि कानूनों के खिलाफ याचिका दायर करने और जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की अनुमति की मांग पर आपत्ति जताई.
अदालत ने कहा, "जब आप पहले ही कानून को चुनौती दे चुके हैं तो आपको विरोध करने की अनुमति कैसे दी जा सकती है? आप अदालत में आते और फिर बाहर भी विरोध करते हैं? यदि मामला पहले से ही विचाराधीन है तो विरोध की अनुमति नहीं दी जा सकती है."
जस्टिस एएम खानविलकर और सीटी रविकुमार ने पूछा कि "जब सरकार पहले ही कह चुकी है कि वह अभी तक कानूनों को लागू नहीं कर रही है और सुप्रीम कोर्ट से इस पर रोक है, तो आप विरोध क्यों कर रहे हैं?"
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