प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार ने विवादित सेतुसमुद्रम परियोजना पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से चार सप्ताह की मोहलत मांगी। इस परियोजना को भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों के बीच नौपरिवहन की सुविधा का सूत्रपात करने के लिए शुरू किया गया था, लेकिन विगत दिनों केंद्र सरकार ने संसद में एक बयान में इस परियोजना को रोकने की बात कही थी।
मुद्दे पर सुनवाई खत्म करने का अनुरोध
इसके बाद बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर कर मुद्दे पर सुनवाई खत्म करने का अनुरोध किया था। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिनाकी आनंद ने गुरुवार को सुब्रह्मण्यम की याचिका पर सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध करते हुए सेतुसमुद्रम परियोजना पर केंद्र सरकार का रुख स्पष्ट करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा।
राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा देने की मांग
सुब्रह्मण्यम ने सेतुसमुद्रम परियोजना को शीर्ष अदालत में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि हिन्दुओं की धार्मिक आस्था से जुड़ा 'रामसेतु' परियोजना स्थल पर ही है, जिसका निर्माण भगवान राम की सेना ने पाक जलडमरूमध्य से होते हुए श्रीलंका जाने के लिए किया था। उन्होंने इसे राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा देने की भी मांग की है।
मुद्दे पर सुनवाई खत्म करने का अनुरोध
इसके बाद बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर कर मुद्दे पर सुनवाई खत्म करने का अनुरोध किया था। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिनाकी आनंद ने गुरुवार को सुब्रह्मण्यम की याचिका पर सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध करते हुए सेतुसमुद्रम परियोजना पर केंद्र सरकार का रुख स्पष्ट करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा।
राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा देने की मांग
सुब्रह्मण्यम ने सेतुसमुद्रम परियोजना को शीर्ष अदालत में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि हिन्दुओं की धार्मिक आस्था से जुड़ा 'रामसेतु' परियोजना स्थल पर ही है, जिसका निर्माण भगवान राम की सेना ने पाक जलडमरूमध्य से होते हुए श्रीलंका जाने के लिए किया था। उन्होंने इसे राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा देने की भी मांग की है।
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