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This Article is From Jul 25, 2023

दिल्ली अध्यादेश को केंद्रीय कैबिनेट ने बिल के रूप में दी मंजूरी, संसद में किया जाएगा पेश

AAP नेता एवं सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को पत्र लिखकर सदन में इसे पेश करने की अनुमति नहीं देने का आग्रह किया था.

दिल्ली अध्यादेश को केंद्रीय कैबिनेट ने बिल के रूप में दी मंजूरी, संसद में किया जाएगा पेश
नई दिल्ली:

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को दिल्ली अध्यादेश के स्थान पर एक विधेयक लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. विधेयक को संसद में रखे जाने से पहले यह महज एक औपचारिकता है. सूत्रों के अनुसार कैबिनेट की बैठक में इसे आज मंजूरी दी गई.सरकार मॉनसून सत्र में ही इस बिल को संसद में पेश कर सकती है. सरकार मॉनसून सत्र में ही इस बिल को संसद में पेश कर सकती है. बताते चलें कि इस अध्यादेश को लेकर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से टकराव देखने को मिला है .  आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने इसे लेकर उपराष्ट्रपति को पत्र भी लिखा था. 

सुप्रीम कोर्ट ने AAP सरकार की अपील को खारिज कर दिया था

गौरतलब है कि अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की अध्यादेश पर रोक की अर्जी खारिज कर दी थी. अध्यादेश पर तीन जजों की पीठ ने कानून के दो सवाल भी तैयार किए थे. अनुच्छेद 239-एए(7) के तहत कानून बनाने की संसद की शक्ति की रूपरेखा क्या है? और क्या संसद अनुच्छेद 239-एए(7) के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करके दिल्ली के लिए शासन के संवैधानिक सिद्धांतों को निरस्त कर सकती है?

केंद्र ने दिल्ली सरकार पर लगाए थे गंभीर आरोप 

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर अध्यादेश का बचाव किया था. हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि आप सरकार को सतर्कता विभाग के अधिकारियों का तबादला करने से रोकने के लिए दिल्ली अध्यादेश जल्दबाजी में लाया गया था. 11 मई के फैसले के बाद सतर्कता अधिकारियों से  शिकायतें मिलीं थी.  एक्साइज विभाग की जांच, फीडबैक यूनिट की जांच से संबंधित फाइलें सतर्कता विभाग के कार्यालयों से ली गईं थी.  आप मंत्रियों के अहंकारी, असंवेदनशील व्यवहार के कारण अध्यादेश जारी करना पड़ा.  अध्यादेश में देरी से शासन व्यवस्था पंगु हो जाती. देश विश्व स्तर पर शर्मिंदा होता.  अधिकारियों के काम करने में बाधा डाली गई. दिल्ली में प्रशासनिक अराजकता के कारण आपातकालीन तरीके से अध्यादेश लाना पड़ा.

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