कालाधन और विदेशों में रखी अवैध संपत्ति का पता लगाने के लिए कैबिनेट ने एक विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी। इस बिल में इस तरह का अपराध करने वाले को दस साल तक के कठोर कारावास की सजा देने सहित कई कड़े प्रावधान किए गए हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, 'केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अज्ञात विदेशी आय और संपत्तियां (नया कर आरोपण) विधेयक, 2015 के मसौदे को मंजूरी दे दी।'
इस विधेयक के बारे में आम बजट में घोषणा की गई थी। नए विधेयक के तहत इस तरह के अपराध में समझौते की कोई गुंजाइश नहीं होगी और दोषियों को निपटान आयोग में जाने की इजाजत भी नहीं होगी। इसमें छुपाई गई आमदनी और संपत्तियों पर करों का 300 प्रतिशत की दर से जुर्माना लगाया जाएगा।
विधेयक के तहत विदेशी संपत्तियों के अपर्याप्त खुलासे के साथ रिटर्न दाखिल करने या आयकर रिटर्न नहीं दाखिल करने पर सात साल तक के कठोर कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।
प्रस्तावित विधेयक के तहत विदेशी संपत्तियों से जुड़े कर की चोरी तथा संपत्तियों व आय को छुपाने पर दस साल तक के कठोर कारावास का प्रावधान होगा।
सूत्रों ने कहा कि चूंकि यह धन विधेयक है इसलिए इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद लोकसभा में पेश किया जाएगा। इस विधेयक को लोकसभा के मौजूदा सत्र में ही पेश किए जाने की संभावना है।
गौरतलब है कि सरकार पर विदेशों में जमा काले धन के मामले में कार्रवाई करने के लिए दबाव है, क्योंकि बीजेपी और मोदी ने पिछले साल चुनाव अभियान के दौरान इसे बड़ा मुद्दा बनाया था और काले धन को जल्द वापस लाने का वादा किया था।
इसके तहत अगर व्यक्ति, इकाई, बैंक या वित्तीय संस्थान इस तरह के अपराध में शामिल पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ अभियोजन चलेगा।
इसके तहत विदेशी संपत्तियों के मामले में आय छुपाने या कर चोरी को 'मनी लॉन्ड्रिंग रोधी अधिनियम (पीएमएलए) के अधीन 'गंभीर अपराध' बनाया जाएगा।
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