बुलंदशहर में गोकशी (Bulandshahr Violence) के मुद्दे पर भड़की हिंसा में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह (Subodh Kumar Singh) की हत्या को लेकर करीब 83 रिटायर्ड अफ़सरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र को चिट्ठी लिखी थी. अब बुलंदशहर के बीजेपी विधायक संजय शर्मा (Sanjay Sharma) ने उन रिटायर्ड अफ़सरों को जवाब दिया है. विधायक ने लिखा है कि अधिकारियों को पुलिसवाले की मौत तो दिख रही है, लेकिन 21 गायों की मौत नहीं दिख रही. साथ ही वह यह भी हिदायत दे रहे हैं कि सभी अधिकारी सुबह 5 बजे संघ की शाखा में जाएं.
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83 अधिकारियों के खत का जवाब देते हुए बीजेपी विधायक संजय शर्मा ने कहा, बुलंदशहर की घटना में आपको सिर्फ दो मौतें दिखाई दे रही हैं, एक सुमित की और दूसरा एक कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारी की. अपको 21 गौमाता की मौत दिखाई ही नहीं दे रही है. जिस प्रदेश में किसान दो से गौवंश के कारण अपनी फसल में नुकसान होने का भी दंश सिर्फ इसलिए झेल रहा है, क्योंकि कम से कम गौमाता तो नहीं कट रही हैं. जो मुख्यमंत्री को गौकशी रोकने कि लिए धन्यवाद देता है वह हिंदू चोरी छिपे गौकशी को कैसे बर्दाश्त करेगा. अगर गोकशी नहीं हुई होती तो यह घटना भी नहीं हुई होती.
Sanjay Sharma BJP MLA from Anupshahr, Bulandshahr district writes open letter to 83 former bureaucrats demanding CM Yogi Adityanath's resignation, states, "You're seeing deaths of only Sumit and a police officer but not the deaths of 21 cows". pic.twitter.com/aN2CRK7Ku2
— ANI UP (@ANINewsUP) December 20, 2018
इसके अलावा उन्होंने प्रदेश की पिछली सरकार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की शहादत को मैं नमन करता हूं पर इसी प्रदेश में मथुरा के पुलिस अधीक्षक मुकुल द्विवेदी की पागल भीड़ व तत्कालीन सरकार के संरक्षण प्राप्त लोगों द्वारा हत्या की गई थी, तब क्या आपने चूड़ियां पहन रखी थी. तब उस सरकार के प्रति आपके द्वारा कोई प्रतिक्रिया दिखाई नहीं दी.
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इससे आगे उन्होंने लिखा, 'अगर राष्ट्रीय स्वंयसेवर संघ को जानना है तो आप सबसे अनुरोध करूंगा कि मात्र एक वर्ष के लिए सुबह पांच बजे उठकर अपनी नजदीकी शाखा में जाएये, तब आपसे संघ के बारे में राय मांगेंगे, नहीं तो आपकी राय इसी तरह आधारहीन होगी, जैसे बुलंदशहर घटना पर दूर बैठकर व सोशल मीडिया से प्राप्त जानकारियों पर आधारित आपकी प्रतिक्रिया.
VIDEO : क्यों नहीं गिरफ़्तार हुए इंस्पेक्टर के हत्यारे?
बता दें कि बुलंदशहर हिंसा के दौरान इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या से क्षुब्ध कई पूर्व नौकरशाहों ने एक खुला पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने राज्य में इस घटना से पहले और बाद में उत्पन्न तनाव को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की थी. पत्र में लिखा है कि 3 दिसंबर 2018 को हुई हिंसक घटना के दौरान पुलिस अधिकारी की हत्या राजनीतिक द्वेष की दिशा में अब तक का एक बेहद खतरनाक संकेत है. इससे पता चलता है कि देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में शासन प्रणाली के मौलिक सिद्धांतों, संवैधानिक नीति और मानवीय सामाजिक व्यवहार तहस नहस हो चुके हैं. राज्य के मुख्यमंत्री एक पुजारी की तरह धर्मांधता और बहुसंख्यकों के प्रभुत्व के एजेंडे पर काम कर रहे हैं.
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