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ऐतिहासिक रमाबाई मैदान में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने समाजवादी पार्टी (सपा), कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर एकसाथ जमकर हमला बोला लेकिन केंद्र को दिए जा रहे समर्थन को लेकर अपना फैसला उन्होंने अगले दिन तक के लिए टाल दिया।
अब सबकी नजरें बुधवार को होने वाली बसपा कार्यकारिणी की बैठक पर टिकी हुई हैं, जिसमें केंद्र सरकार को समर्थन को लेकर मायावती कोई चौंकाने वाला फैसला ले सकती हैं।
बसपा के संस्थापक कांशीराम की छठी पुण्यतिथि के मौके पर मायावती ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस दौरान मैदान में मौजूद लाखों कार्यकतार्ओं को सम्बोधित करते हुए मायावती ने विरोधियों के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखाए।
केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार को बसपा द्वारा दिए जा रहे समर्थन को लेकर कल पार्टी कार्यालय में एक अहम बैठक होने वाली है, जिसमें वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार विमर्श के बाद मायावती किसी अंतिम निर्णय पर पहुंचेंगी।
मायावती ने कहा, "बुधवार को पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में वरिष्ठ नेताओं के साथ केंद्र सरकार को दिए जा रहे समर्थन को लेकर विचार विमर्श किया जाएगा।" उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को दिए जा रहे फैसले को लेकर बैठक में नए सिरे से पुनर्विचार किया जाएगा।
इससे पहले मायावती ने कहा, "विधानसभा चुनाव के दौरान सपा, कांग्रेस और भाजपा ने मिलकर बसपा को हराने का काम किया। हमें हराने के लिए ही कांग्रेस और भाजपा ने अपने मतों को सपा के पाले में ट्रांसफर करवाया लेकिन विधानसभा चुनाव में मिली करारी हाल का बदला अगले लोकसभा चुनाव में लिया जाएगा।" उन्होंने कहा कि सपा सरकार के छह महीने के कार्यकाल में ही उप्र क्राइम प्रदेश बन गया है।
मायावती ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए कहा, "घोषणाओं को लेकर अखिलेश अपने पिता मुलायम सिंह से भी आगे बढ़ गया है। अखिलेश को यदि घोषणा मुख्यमंत्री कहा जाए तो गलत नहीं होगा।"
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह पर अब तक का सबसे कड़ा हमला बोलते हुए कहा कि बाबा साहब अम्बेडकर ने पिछड़ों के लिए काम नहीं किया होता तो मुलायम का परिवार आज खेतों में गाय चरा रहा होता। अम्बेडकर के योगदान को सपा वाले भूल गए हैं।
लोक निर्माण मंत्री शिवपाल यादव पर अप्रत्यक्ष तौर पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, "सरकार का एक मंत्री खुलेआम कह रहा है कि चोरी कर लेना लेकिन डाका मत डालना।" उन्होंने कहा, "अखिलेश सरकार दुर्भावना की शिकार है। वह जिस तरह से फैसले ले रहे हैं वह निंदनीय है। उन्हें यह चेतावनी देती हूं कि समय रहते सम्भल जाओ नहीं तो वक्त आने पर इसका करारा जवाब दिया जाएगा।"
मायावती के आरोपों पर पलटवार करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि पूर्ववर्ती मायावती सरकार ने पिछले पांच साल में उत्तर प्रदेश को बहुत पीछे ढकेल दिया।
अखिलेश ने कहा कि मायावती की अगुवाई वाली पूर्ववर्ती बसपा सरकार ने पिछले पांच साल केवल राज्य में पार्कों, स्मारकों और मूर्तियों का निर्माण किया। अगर माया सरकार ने पत्थर और मूर्तियों पर पैसा बहाने के बजाय रोजगार सृजन पर ध्यान दिया होता तो आज लाखों युवकों को रोजगार मिल गया होता और हमारी सरकार को आज बेरोजगारी भत्ता नहीं बांटना पड़ता।
अखिलेश ने कहा कि बसपा सरकार ने उत्तर प्रदेश को काफी पीछे ढकेल दिया। आज समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार प्रदेश के विकास के लिए काम कर रही है तो ये बसपा के लोगों को अच्छा नहीं लगा रहा है। हताशा में बसपा के नेता सरकार पर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं।
सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि ये मायावती के अपने संस्कार हैं जिनमें चार बार मुख्यमंत्री के पद पर रहने के बाद भी बदलाव नहीं आया है।
चौधरी ने कहा कि बसपा की आज की रैली के आयोजक वही सब पूर्व मंत्री थे जो भ्रष्टाचार की जांचो में फंसे हुए हैं और जेल जाने की आशंका से डरे हैं। अपने गुनाहों पर पर्दा डालने और आम जनता को गुमराह करने के लिए ही यह नौटंकी हुई है।
इस बीच, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि मायावती ने महासंकल्प रैली खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को लेकर बुलाई थी लेकिन वह अपने भाषण के दौरान गौरव गाथा ही गाती रहीं और सपा सरकार पर हमला बोलती रहीं।
पाठक ने कहा कि मायावती और सपा केंद्र को तब तक समर्थन देते रहेंगे जब तक केंद्रीय जांच ब्यूरो का फंदा उनके गले पर लटक रहा है।
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