नाबालिग के यौन उत्पीड़न के आरोपी कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को 17 जून को मामले की अगली सुनवाई तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आज यह फैसला सुनाया है.
81 वर्षीय येदियुरप्पा के खिलाफ गुरुवार को कड़े यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था. पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे बीवाई राघवेंद्र ने दावा किया है कि शिकायत में "कोई सच्चाई नहीं" है.
पुलिस के अनुसार, 14 मार्च को 17 वर्षीय लड़की की मां की शिकायत के आधार पर येदियुरप्पा पर POCSO अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 A (यौन उत्पीड़न) के तहत आरोप लगाया गया है.
मां का आरोप है कि येदियुरप्पा ने इस साल 2 फरवरी को डॉलर्स कॉलोनी स्थित अपने आवास पर एक बैठक के दौरान उनकी बेटी का यौन उत्पीड़न किया. येदियुरप्पा के वकील संदीप पाटिल ने कहा, "मैंने इसे रिकॉर्ड पर रख दिया है, उन्हें (मां) मामले दायर करने की आदत है. मैंने विवरण दिया है. ब्लैकमेल करना उनका पेशा है.
येदियुरप्पा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाली 54 वर्षीय महिला की पिछले महीने एक निजी अस्पताल में फेफड़ों के कैंसर से मृत्यु हो गई. येदियुरप्पा के वकील ने कहा, "कार्रवाई संदिग्ध, दुर्भावनापूर्ण प्रतीत होती है. राजनीति से प्रेरित है. उन्होंने हमेशा जांच में सहयोग किया है. पहले भी नोटिस दिया गया था."
पूर्व मुख्यमंत्री का दावा है कि लड़की धोखाधड़ी के कुछ मामलों में मदद मांगने उनके पास आई थी. हालांकि, उसने उससे ठीक से बात नहीं की, जिससे उसे लगा कि वह मानसिक रूप से ठीक नहीं है. येदियुरप्पा के कार्यालय ने आरोपों को निराधार बताया है और मां और बेटी पर अतीत में 50 से अधिक शिकायतें दर्ज करने का आरोप लगाया है. येदियुरप्पा के कार्यालय द्वारा जारी की गई एक सूची में पहले दर्ज की गई 53 अलग-अलग शिकायतें दिखाई गईं.
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