भारत और अन्य देशों के छात्रों और अन्य लोगों को संकटग्रस्त पड़ोसी देश से प्रवेश की सुविधा के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा 24 घंटे खुली रहेगी, जहां पिछले तीन दिनों से कोटा मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन के कारण स्थिति बेहद अस्थिर बनी हुई है.
सीमा सुरक्षा बल (BSF) के एक प्रवक्ता ने कहा कि त्रिपुरा फ्रंटियर महानिरीक्षक (आईजी) पटेल पीयूष पुरूषोत्तम दास और अन्य वरिष्ठ अधिकारी बांग्लादेश सेना के अधिकारियों और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के अधिकारियों से संपर्क हैं. भारतीय छात्रों, अन्य लोगों के साथ-साथ पड़ोसी देशों के नागरिकों को सुरक्षित निकालने की प्रक्रिया जारी है.
बीएसएफ के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया है कि नागरिकों को चेकपोस्ट के जरिए सुरक्षित निकाला जाएगा. उन्होंने कहा है कि लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए पड़ोसी देश बांग्लादेश के अधिकारियों से निरंतर चर्चा हो रही है.
जानकारी के मुताबिक, बांग्लादेश में जारी हिंसक विरोध-प्रदर्शन के बीच शनिवार को मेघालय के पश्चिमी जयंतिया हिल्स जिले में दावकी एकीकृत जांच चौकी के जरिए 284 और लोगों ने भारत में प्रवेश किया.
उन्होंने बताया कि बांग्लादेश से भारत आए इन लोगों में 168 नेपाली, 115 भारतीय हैं. इनमें मेघालय के आठ छात्र और कनाडा का एक छात्र भी शामिल है.
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ''बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच वहां फंसे भारत, नेपाल और भूटान के 953 लोग पिछले तीन दिनों में दावकी एकीकृत जांच चौकी के जरिए भारत आए हैं. इन लोगों में अधिकतर छात्र हैं और कनाडा का भी एक छात्र शामिल है.''
मेघालय सरकार ने हिंसा प्रभावित बांग्लादेश में और पूर्वोत्तर राज्य के अधिकारियों से सहायता मांग रहे लोगों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किया है.
ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्र 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण देने वाली व्यवस्था के खिलाफ कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं.
आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान राजधानी ढाका तथा अन्य जगहों पर हिंसा भड़क गई है.
इस बीच, गुवाहाटी में अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिंसा भड़कने के बाद से असम के 40 से अधिक छात्र वापस लौट आए हैं.
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