विपक्ष के 'इंडिया' गठबंधन की ओर से कुछ एंकरों के बहिष्कार की बीजेपी ने की कड़ी निंदा

बीजेपी के प्रमुख प्रवक्ता एवं सांसद अनिल बलूनी ने एक बयान में कहा है कि विपक्षी दलों ने अपनी दमनकारी, तानाशाही और नकारात्मक मानसिकता का प्रदर्शन किया है

विपक्ष के 'इंडिया' गठबंधन की ओर से कुछ एंकरों के बहिष्कार की बीजेपी ने की कड़ी निंदा

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' (INDIA) ने फैसला लिया है कि वे देश के 14 टेलीविजन एंकरों के कार्यक्रमों में अपने प्रतिनिधि नहीं भेजेंगे. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस कदम की निंदा की है. पार्टी के प्रमुख प्रवक्ता एवं सांसद अनिल बलूनी ने एक बयान में कहा है कि विपक्षी दलों ने अपनी दमनकारी, तानाशाही और नकारात्मक मानसिकता का प्रदर्शन किया है.

बलूनी ने कहा कि बीजेपी ऐसी विकृत मानसिकता का कड़ा विरोध करती है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाती है. उन्होंने कहा, ‘‘आपातकाल के दौरान मीडिया का गला घोंट दिया गया था और इस ‘घमंडिया' गठबंधन में शामिल दल उसी अराजक और आपातकालीन मानसिकता के साथ काम कर रहे हैं.'' 

बलूनी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर लिखा है कि, घमंडिया गठबंधन में शामिल 'इंडिया' एलायंस के दलों द्वारा पत्रकारों के बहिष्कार और उन्हें धमकाने का लिया गया निर्णय घोर निंदनीय और भर्त्सनीय है. यह उनकी दमनकारी और तानाशाही और सोच को ही प्रदर्शित करती है.बीजेपी 'इंडिया' एलायंस के इस निकृष्ट मानसिकता की घनघोर निंदा करती है.

बलूनी ने आरोप लगाया कि मीडिया को इस तरह की ‘खुली धमकी' लोगों की आवाज दबाने के समान है.

न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) ने कहा कि बहिष्कार का यह फैसला एक खतरनाक मिसाल साबित होगा और यह लोकतंत्र के मूल्यों के खिलाफ है.

गठबंधन ‘इंडिया' की मीडिया से संबंधित समिति की बैठक में यह फैसला किया गया. विपक्षी गठबंधन की मीडिया समिति ने एक बयान में कहा, ‘‘13 सितंबर, 2023 को अपनी बैठक में ‘इंडिया' समन्वय समिति द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार, विपक्षी गठबंधन के दल इन 14 एंकर के शो और कार्यक्रमों में अपने प्रतिनिधि नहीं भेजेंगे.'' इसने बयान में 14 एंकर की एक सूची भी जारी की है.

कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख और विपक्षी गठबंधन की मीडिया समिति के सदस्य पवन खेड़ा ने कहा, ‘‘रोज शाम पांच बजे से कुछ चैनल पर नफरत की दुकानें सजाई जाती हैं. हम नफरत के बाजार के ग्राहक नहीं बनेंगे. हमारा उद्देश्य है ‘नफ़रत मुक्त भारत'.''

खेड़ा ने यह भी कहा, ‘‘बड़े भारी मन से यह निर्णय लिया गया कि कुछ एंकर के शो व कार्यक्रमों में हम भागीदार नहीं बनें. हमारे नेताओं के ख़िलाफ़ अनर्गल टिप्पणियां, फेक न्यूज़ से हम लड़ते आए हैं और लड़ते रहेंगे, लेकिन समाज में नफ़रत नहीं फैलने देंगे. मिटेगी नफ़रत, जीतेगी मुहब्बत.''

भाजपा नेता एवं केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने विपक्षी दलों के गठबंधन के इस कदम की तुलना आपातकाल से की. उन्होंने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘भारत में नागरिक स्वतंत्रता में कटौती का एकमात्र उदाहरण हमने 1975 में आपातकाल के दौरान देखा है. सनातन धर्म को खत्म करने के लिए खुला आह्वान, पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी और मीडिया का बहिष्कार आपातकाल के उन अंधकारमय दिनों की राजनीति को दर्शाता है. ‘आईएनडीआई एलायंस' का असली चेहरा.''

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी विपक्षी गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि यह कदम उनकी हताशा को दर्शाता है. राजस्थान के भीलवाड़ा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हर दिन कांग्रेस और उनके सहयोगियों के नेता कहते हैं कि वे सनातन धर्म को नष्ट कर देंगे और हिंदुओं का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ते. अब उन्होंने पत्रकारों का भी बहिष्कार करना शुरू कर दिया है और मुकदमे दर्ज कर रहे हैं.''

इस बीच, ‘नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स' (एनयूजे) ने बहिष्कार को लोकतंत्र पर हमला करार दिया. एनयूजे ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों ने मीडिया का राजनीतिकरण किया है.

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‘इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स' से जुड़े ‘नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स' के अध्यक्ष रास बिहारी ने एक बयान में कहा कि विपक्षी दलों का यह फैसला भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मीडिया पर दमन का एक 'काला अध्याय' है.