महाराष्ट्र (Maharashtra) में 6 सीटों पर राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha elections) होना है. बीजेपी ने महाराष्ट्र में तीन उम्मीदवारों को उतारकर चुनाव को रोचक बना दिया है. बीजेपी ने पीयूष गोयल और अनिल सुखदेवराव के अलावा धनंजय महादिक को उम्मीदवार बनाया है. उधर, शिवसेना भी पीछे नहीं है, उसने भी छठी सीट पर उम्मीदवार उतारकर बीजेपी के साथ मुकाबला करने का मन बना लिया है. इसके बाद से महाराष्ट में बीजेपी और शिवसेना के बीच मुकाबला बड़ रोचक हो गया है.
कैसा है महाराष्ट्र का गणित?
महाराष्ट्र में राज्यसभा में एक उम्मीदवार को जीतने के लिए करीब 42 वोट की जरूरत होती है. मौजूदा समीकरण को देखें तो बीजेपी 2 सीटों पर आसानी से जीत सकती है. इसके अलावा कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी एक-एक सीट पर जीत सकती है. यानी 5 सीटों पर आसानी से उम्मीदवार जीत सकते हैं. छठी सीट पर लड़ाई तेज हो सकती है. दरअसल, बीजेपी और शिवसेना ने इस सीट पर उम्मीदवार उतारा है. ऐसे में महाराष्ट्र राज्यसभा चुनावों में निर्दलीय विधायक और छोटे दल के विधायकों की जरूरत शिवसेना और बीजेपी दोनों को है. इन विधायकों को अपनी ओर खीचने के लिए कोई भी पार्टी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही है.
राज्य सरकार का वादा- विधायकों को जल्द मिलेगा फंड
महाराष्ट्र में ऐसे कई निर्दलीय विधायक हैं, जिनके फंड पिछले ढाई साल में देरी से पास हो रहे हैं या अपने-अपने मतदान क्षेत्र में उन्हें विकास करने के लिए और भी फंड की जरूरत है. राज्य सरकार की ओर से ऐसे निर्दलीय विधायकों को भरोसा दिलाया जा रहा है कि ना केवल फंड समय पर दिया जाएगा, बल्कि अपने- अपने क्षेत्र में विकास हो, इसलिए राज्य सरकार उनकी पूरी मदद करेगी.
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बीजेपी दे रही है मदद का भरोसा, जांच एजेंसियों का डर
शिवसेना की तरह ही बीजेपी भी एक विधायक का भी छोड़ना नहीं चाहती है. ऐसे में बीजेपी इन सभी विधायकों को अपनी ओर करने के लिए कोशिश कर रही है. बीजेपी का कहना है कि अगर यह विधायक उनके पक्ष में वोट करते हैं, तो वो केंद्र सरकार से सुनिश्चित करवाएंगे की ऐसे विधायकों के क्षेत्र में विकास हो और पूरी सहायता की जाएगी. इसके अलावा केंद्रीय जांच एजेंसियों से नोटिस मिलने का खतरा भी कुछ विधायकों को है. ऐसे में कुछ विधायक बीजेपी के समर्थन में वोट दे सकते हैं ताकि उन्हें ऐसे नोटिस ना आएं.
...जो पिछली बार वोट कर उठा चुके हैं नुकसान
करीब 3 से 4 निर्दलीय विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने 2019 में देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की ओर से स्थापित सरकार का समर्थन किया था. ये सरकार तीन दिन में गिर गई थी, लेकिन इसका खामियाजा इन विधायकों को भुगतना पड़ा था. मुख्यमंत्री की ओर से इन्हें समय नहीं दिया जाता है और फंड भी देरी से पास होता है. इसलिए इस बार के चुनाव के जरियर कुछ विधायक सरकार के पक्ष में मतदान कर पुराने गिले शिकवे भी मिटाना चाहते हैं.
Video : महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव के गणित में जुटी पार्टियां, छोटे दलों को साधने में जुटे BJP, शिवसेना
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