कर्नाटक (Karnataka) में 10 मई को होने वाले चुनाव के लिए राजनीतिक दलों का चुनाव प्रचार जोर पकड़ चुका है. कांग्रेस (Congress) ने अपने स्टार प्रचारकों में से एक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को दक्षिण में पार्टी के सुशासन के मॉडल की पैरवी करने के लिए भेजा है. इसी क्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को राजस्थानी प्रवासी आबादी के लिए बेंगलुरु के मैंगलोर में प्रचार किया. कर्नाटक में करीब 4 लाख राजस्थानी प्रवासी हैं, जिनमें करीब 1.5 लाख वोट करते हैं. वे राज्य की मतदान आबादी का लगभग 4 प्रतिशत हैं. कांटे की टक्कर वाले कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस के लिए हर वोट मायने रखेगा.
पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा के चुनाव अभियान की अगुवाई करते हुए राजस्थान कांग्रेस पर तीन दिनों में दो बार हमला बोला था. आखिरी मौके पर उन्होंने कहा था कि कांग्रेस को वोट देने का मतलब होगा अंदरूनी कलह वाली सरकार है. पीएम मोदी ने उदाहरण के तौर पर उन्होंने राजस्थान और छत्तीसगढ़ का हवाला दिया था. इस पर गहलोत ने पीएम मोदी को जवाब दिया है. गहलोत ने कहा कि राजस्थान में भाजपा भी विभाजित है और पार्टी का "शासन का मॉडल निर्वाचित सरकारों को गिराना है". उदाहरण के तौर पर उन्होंने मध्य प्रदेश, गोवा, मणिपुर का हवाला दिया, लेकिन राजस्थान में उनके प्रयास विफल रहे हैं. उन्होंने कहा, " भाजपा ने राजस्थान में कांग्रेस सरकार को गिराने की कोशिश में लगाए गए पैसे को खो दिया."
गहलोत ने कहा, "जहां भी कांग्रेस सरकार बनेगी, राजस्थान मॉडल को समाज के सभी वर्गों की देखभाल के लिए लागू किया जाएगा." उन्होंने कहा, "सामाजिक सुरक्षा एक राष्ट्रीय मुद्दा होना चाहिए. राजस्थान ने अपना काम किया है, हमारे पास स्वास्थ्य का अधिकार सबसे व्यापक स्वास्थ्य बीमा योजना है. "राजस्थान में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं और पायलट, जिन्होंने 2018 के चुनाव से पहले पार्टी को जमीनी स्तर से फिर से खड़ा करने में मदद की थी, राज्य में काम कर रहे हैं. बता दें कि राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच समय-समय पर टकराव देखने को मिलता रहता है. ऐसा ही छत्तीसगढ़ में भी देखने के लिए मिलता है.
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