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This Article is From Aug 14, 2022

देश के विभाजन की आड़ में पंडित नेहरू पर BJP का वार, जानें- तथ्यों पर क्या कहते हैं इतिहासकार

'बीजेपी जानती है कि आरएसएस और हिंदू महासभा का आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं है. आरएसएस ने 52 साल तक अपने दफ्तर पर तिरंगा तक नहीं फहराया. इसीलिए उस पर पर्दा डालने के लिए वो ऐसा कर रही है.'

देश के विभाजन की आड़ में पंडित नेहरू पर BJP का वार, जानें- तथ्यों पर क्या कहते हैं इतिहासकार
इतिहासकारों ने कहा कि विभाजन के लिए कांग्रेसी नेताओं को दोषी ठहराना ठीक नहीं है.
नई दिल्ली:

बीजेपी ने 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के जरिए वीडियो जारी कर कांग्रेस (Congress) पर निशाना साधा है. इसमें बीजेपी (BJP) ने 1947 की घटनाओं पर अपना वर्जन दिखाया है और देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) को देश के बंटवारे (Partition of the Country) के लिए जिम्मेदार ठहराया है. बीजेपी का कहना है कि मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग की पाकिस्तान बनाने की मांग के आगे नेहरू झुक गए.

बीजेपी के द्वारा जारी वीडियो को लेकर इतिहासकार और अंबेडकर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सलिल मिश्रा ने कहा कि हमें विभाजन को याद रखना चाहिए, लेकिन इसका इस्तेमाल राजनीतिक स्कोर करने के लिए नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना पूरी तरह गलत है. बंटवारे को उस वक्त देश ने मजबूरी में स्वीकार किया था. 1905 के विभाजन को 1947 से जोड़ना ठीक नहीं है.

प्रोफेसर सलिल मिश्रा ने कहा कि विभाजन की मजबूरी मानने के बाद ये माना गया कि पंजाब और बंगाल का भी विभाजन होना चाहिए, क्योंकि यहां पर बड़े पैमाने पर (लगभग 45 प्रतिशत) गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय हैं. मुस्लिम लीग की मांग थी कि पूरे पंजाब और बंगाल को भी सिंध को दे दिया जाए. इसका विरोध कांग्रेस ने किया था. फिर एक समझौते के तहत ये सहमति बनी कि भारत के साथ पंजाब और बंगाल का भी विभाजन होगा. इसीलिए इसको अपने संदर्भ से काटकर देखना और किसी को विलेन बनाना गलत है.

प्रोफेसर मिश्रा ने कहा कि इतिहास को पढ़ने समझने का मकसद आज की राजनीतिक डिबेट को सेटल करना नहीं होती है. उन्होंने कहा कि इतिहास से हमें सीखना चाहिए और भविष्य के लिए एक बेहतर खाका तैयार करने में उसका इस्तेमाल करना चाहिए, ना कि हमें किसी को विलेन बनाकर फैसला सुना देना चाहिए.

वहीं, जेएनयू की इतिहास की प्रोफेसर सुचेता महाजन ने बीजेपी के जारी वीडियो पर कहा कि उस वक्त के राष्ट्रीय नेताओं पर ऐसे आरोप लगाना गलत है. विभाजन कोई समझौता नहीं था जिस पर कांग्रेस के नेताओं ने साइन किया था. ये उस वक्त के ब्रिटिश शासन ने देश पर थोपा था. गांधी जी ने भी एआईसीसी की बैठक में कहा था कि हमें ये मानना पड़ेगा, क्योंकि हमारे पास इसके सिवा कोई चारा नहीं है.

प्रोफेसर महाजन ने कहा कि ब्रिटिश शासन ने ये सब जान बूझकर किया. उन्होंने तय किया कि हम भारत को खंडित कर के जाएंगे. अंग्रेजों ने तय किया भारत कमजोर रहेगा, तो हमेशा बड़ी ताकतें फायदे में रहेंगी. ब्रिटिशों ने आयरलैंड का भी विभाजन किया. कहीं वो धर्म के आधार पर तो कहीं जाति के आधार पर उन्होंने देश बांटे.

सुचेता महाजन ने कहा कि वीडियो जारी करने के पीछे एक राजनीतिक साजिश है. बीजेपी चुंकि जानती है कि आरएसएस और हिंदू महासभा का आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं है. आरएसएस ने 52 साल तक अपने दफ्तर पर तिरंगा तक नहीं फहराया. इसीलिए उस पर पर्दा डालने के लिए वो ऐसा कर रही है.

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