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आधार कार्ड 12वां डाक्यूमेंट... बिहार SIR मामले पर SC ने दिए क्या-क्या निर्देश, 10 प्वाइंट्स में जानें सब कुछ

याचिकाकर्ता योगेंद्र यादव ने कहा कि चुनाव आयोग लगातार अपनी मनमानी करता आया है. उसने सुप्रीम कोर्ट के सुझाव और इशारे को भी नजरंदाज किया, लेकिन अब कोर्ट के आदेश से करोड़ों वोटरों को राहत मिलेगी.

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नई दिल्ली:

बिहार मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अहम आदेश जारी किया. कोर्ट ने चुनाव आयोग को आधार को भी अन्य 11 मान्य दस्तावेजों के बराबर मानने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज के तौर पर माना जाएगा. हालांकि, चुनाव आयोग आधार का सत्यापन कर सकता है कि आधार सही या नहीं. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम साफ कर दे रहे हैं कि आधार सिर्फ निवास के प्रमाण के लिए है न कि नागरिकता तय करने के लिए.

जानें इस मामले से जुड़ी 10 बातें...

  1. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने स्पष्ट किया चुनाव आयोग मतदाता सूची में नाम शामिल करने के लिए मतदाता द्वारा दिए गए आधार कार्ड संख्या की वास्तविकता का पता लगा सकता है. उन्होंने कहा कि कोई भी नहीं चाहता कि निर्वाचन आयोग अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची में शामिल करे. यह स्पष्ट होना चाहिए कि केवल वास्तविक नागरिकों को ही मतदान करने की अनुमति हो और जाली दस्तावेजों के आधार पर वास्तविक होने का दावा करने वालों को मतदाता सूची से बाहर रखा जाए.

  2. शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयोग को पहचान के प्रमाण के रूप में ‘आधार' को स्वीकार करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने को कहा. उन्होंने मतदाताओं से आधार कार्ड स्वीकार नहीं करने के लिए निर्वाचन अधिकारियों को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस पर भी आयोग से स्पष्टीकरण मांगा. पीठ ने आधार अधिनियम 2016 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों का हवाला दिया और कहा कि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है, लेकिन इसे पहचान के प्रमाण के रूप में माना जा सकता है.

  3. याचिकाकर्ता योगेंद्र यादव ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश की सराहना करते हुए कहा कि इससे लाखों-करोड़ों लोगों के वोट अधिकार की रक्षा होगी. उन्होंने चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हुए कहा कि एसआईआर वोट बंदी की प्रक्रिया है. यह आम लोगों से उनके सबसे अहम अधिकार को छीनने की प्रक्रिया है, क्योंकि लोगों से वो दस्तावेज मांगे जा रहे थे जो उनके पास है ही नहीं, लेकिन जो दस्तावेज आमजन के पास हैं उसे अमान्य माना जा रहा था.

  4. योगेंद्र यादव ने कहा कि चुनाव आयोग लगातार अपनी मनमानी करता आया है. उसने सुप्रीम कोर्ट के सुझाव और इशारे को भी नजरंदाज किया, लेकिन अब इस मामले में कोर्ट ने आदेश भी जारी कर दिया है. योगेंद्र यादव ने कहा कि यह वोटरों के लिए बड़ी राहत है. इससे न सिर्फ बिहार के लाखों वोटर बल्कि देश के करोड़ों मतदाता वोटर लिस्ट से बाहर होने से बच गए हैं.

  5. आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने दलील दी कि मसौदा मतदाता सूची में शामिल 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.6 प्रतिशत ने दस्तावेज जमा कर दिए हैं और याचिकाकर्ताओं द्वारा ‘आधार' को 12वें दस्तावेज के रूप में शामिल करने के अनुरोध से कोई व्यावहारिक उद्देश्य पूरा नहीं होगा.

  6. एक सितंबर को, राजनीतिक दलों द्वारा समयसीमा बढ़ाने के लिए दायर कुछ अर्जियों पर सुनवाई करते हुए, शीर्ष अदालत को निर्वाचन आयोग ने सूचित किया था कि एसआईआर की कवायद के तहत बिहार में तैयार की गई मसौदा मतदाता सूची में दावे, आपत्तियां और सुधार एक सितंबर के बाद भी दायर किए जा सकते हैं, लेकिन मतदाता सूची को अंतिम रूप दिए जाने के बाद इन पर विचार किया जाएगा.

  7. पीठ ने कहा कि मसौदा मतदाता सूची में दावे और आपत्तियां प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में नामांकन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि तक दायर की जा सकती हैं. शीर्ष अदालत ने बिहार एसआईआर को लेकर भ्रम की स्थिति को ‘काफी हद तक विश्वास का मामला' बताया और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह एक अगस्त को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची पर दावे और आपत्तियां दर्ज कराने में मतदाताओं तथा राजनीतिक दलों की सहायता के लिए अर्ध-कानूनी (पैरालीगल) स्वयंसेवकों को तैनात करे.

  8. आयोग, जिसने एसआईआर अनुसूची के अनुसार दावे और आपत्तियां दर्ज कराने की एक सितंबर की समयसीमा को आगे बढ़ाने का विरोध किया था, उसने दलील दी थी कि शीर्ष अदालत के 22 अगस्त के आदेश के बाद, 30 अगस्त तक केवल 22,723 दावे शामिल करने के लिए दायर किए गए तथा 1,34,738 आपत्तियां नाम बाहर करने के लिए दायर की गईं.

  9. बिहार में एसआईआर के लिए निर्वाचन आयोग की 24 जून की अनुसूची के अनुसार, मसौदा मतदाता सूची पर दावे और आपत्तियां दर्ज कराने की समयसीमा एक सितंबर को समाप्त हो गई तथा अंतिम रूप दी गई मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी.

  10. साल 2026 के अप्रैल महीने में 5 राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, जिनमें असम, बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में इन राज्यों में एसआईआर प्रक्रिया शुरू करने को लेकर याचिका दायर की गई है. वकील अश्वनी उपाध्याय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इस मामले में अब अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी.

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