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गुजरात में व्यापार और जीवन को सुगम बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम: 'गुजरात जनविश्वास विधेयक-2025' पारित

राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के इस विधेयक का गहन अध्ययन कर 'गुजरात जनविश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक-2025' तैयार किया है. इसका मुख्य उद्देश्य 6 विभागों के 11 कानूनों-नियमों के अंतर्गत आने वाले लगभग 516 प्रावधानों को अपराधमुक्त (डिक्रिमिनलाइज्ड) करना है.

गुजरात में व्यापार और जीवन को सुगम बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम: 'गुजरात जनविश्वास विधेयक-2025' पारित
  • गुजरात सरकार ने जनविश्वास विधेयक-2025 को विधानसभा में बहुमत से पारित किया.
  • विधेयक के तहत लगभग 516 प्रावधानों को अपराधमुक्त करते हुए न्यायपालिका पर बोझ कम करने का प्रयास किया गया है.
  • छोटे उल्लंघनों में कैद की सजा हटाकर वित्तीय दंड में बदलने से स्टार्टअप, एमएसएमई को व्यापार में सुविधा मिलेगी.
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गांधीनगर:

PM मोदी के 'विकसित भारत@2047' के दृष्टिकोण के अनुरूप, गुजरात सरकार ने 'विकसित गुजरात' के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की है. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मार्गदर्शन में, राज्य सरकार ने 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' को बढ़ावा देने और 'अर्निंग वेल-लिविंग वेल' की संकल्पना को साकार करने के उद्देश्य से 'गुजरात जनविश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक-2025' विधानसभा में प्रस्तुत किया, जिसे बहुमत से पारित कर दिया गया है.

यह विधेयक, जो सरलता और पारदर्शिता को बढ़ावा देने की राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, व्यापारिक और जीवन जीने की सरलता में वृद्धि करेगा. इसके अतिरिक्त, यह न्यायपालिका पर बोझ को भी कम करने में सहायक सिद्ध होगा.

कानूनों का सरलीकरण और डिजिटलीकरण: 'जनविश्वास' की ओर एक कदम
उद्योग मंत्री बलवंतसिंह राजपूत ने विधेयक प्रस्तुत करते हुए बताया कि किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए स्थिर नीतियां और अनुकूल व्यावसायिक वातावरण अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने हमेशा कानूनों को आधुनिक, लचीला, जन-हितैषी और विश्वास-आधारित बनाया है. इसी दिशा में, केंद्र सरकार ने 2023 में जनविश्वास अधिनियम लागू कर अनुपालनों (compliances) को कम करने का प्रयास किया, जिससे 40,000 से अधिक अनुपालन समाप्त किए गए और 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' को प्रोत्साहन मिला. हाल ही में संसद में जनविश्वास विधेयक 2.0 भी प्रस्तुत हुआ है.

राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के इस विधेयक का गहन अध्ययन कर 'गुजरात जनविश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक-2025' तैयार किया है. इसका मुख्य उद्देश्य 6 विभागों के 11 कानूनों-नियमों के अंतर्गत आने वाले लगभग 516 प्रावधानों को अपराधमुक्त (डिक्रिमिनलाइज्ड) करना है.

'विश्वास आधारित शासन' और 'जन-हितैषी शासन' की ओर अग्रसर
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, जो 'इंक्रीमेंटल चेंज' के बजाय 'क्वांटम जंप' में विश्वास रखते हैं, गुजरात के विकास की नींव को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इस विधेयक के माध्यम से, राज्य सरकार 'ट्रस्ट बेस्ड गवर्नेंस' और 'प्रो-पीपल गवर्नेंस' के अपने लक्ष्य को साकार कर रही है.

विधेयक के मुख्य प्रावधान और लाभ
अपराधमुक्त प्रावधान: 516 प्रावधानों में से, एक प्रावधान से कैद की धारा हटाई जा रही है. 17 प्रावधानों में कैद या जुर्माने को वित्तीय दंड (penalty) में बदला जा रहा है, और 498 प्रावधानों में जुर्माने को वित्तीय दंड में बदला जाएगा.

न्यायिक बोझ में कमी: छोटी (कम गंभीर) भूलों के लिए कैद की सजा को हटाकर या उसे वित्तीय दंड में बदलकर, न्यायिक प्रणाली पर बोझ कम किया जाएगा. स्टार्टअप्स और MSMEs को प्रोत्साहन: स्टार्टअप्स और MSMEs को छोटी भूलों के लिए फौजदारी कार्यवाही के अनावश्यक भय से मुक्ति मिलेगी, जिससे वे अपने व्यवसायों को बेहतर ढंग से विकसित कर सकेंगे और राज्य के MSME इकोसिस्टम को सुदृढ़ बनाएंगे.

प्रशासनिक सरलता: 8 कानूनों के तहत उल्लंघन के समाधान की व्यवस्था के साथ अधिकारी द्वारा राशि स्वीकार करने के प्रावधान जोड़े गए हैं.

विश्वास का सुदृढ़ीकरण: यह विधेयक केवल नियमों में सुधार से आगे बढ़कर, सरकार और नागरिकों के बीच विश्वास को और मजबूत करने का प्रयास है.

'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' और 'ईज ऑफ लिविंग' को गति: यह विधेयक राज्य में विकास और निवेश को और मजबूत करेगा, साथ ही व्यापार करने और जीवन जीने की सरलता को भी बढ़ावा देगा.

उद्योग मंत्री ने यह भी बताया कि राज्य स्तर पर जनविश्वास कानून पारित करने वाले अन्य राज्यों की तुलना में गुजरात ने सबसे अधिक कानूनों और प्रावधानों में सुधार किया है. यह विधेयक, छोटे उल्लंघनों और अपराधों को आपराधिक श्रेणी से बाहर निकालकर, दंडात्मक कदमों के बजाय सुधारात्मक कदमों को प्रोत्साहन देता है. यह गुजरात की 'विकास के रोल मॉडल' के रूप में स्थापित पहचान को और व्यापक स्तर पर उजागर करेगा.

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