- बिहार विधानसभा चुनाव में जिन 26 सीटों पर डॉ. मोहन यादव ने प्रचार किया, उनमें से 21 पर NDA की बढ़त या जीत है.
- मोहन यादव की सक्रिय प्रचार और संगठनात्मक मजबूती ने उन्हें बीजेपी का प्रभावशाली स्टार प्रचारक बनाया है.
- OBC मतदाताओं की बड़ी संख्या और यादव वोटरों का लगभग चौदह प्रतिशत होना चुनाव परिणामों में निर्णायक रहा है.
243 सीटों वाली बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे जैसे-जैसे सामने आ रहे हैं, मध्यप्रदेश बीजेपी की नजरें भी उसी दर पर टिकी हुई हैं. वजह साफ है जिन 26 सीटों पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रचार किया था, उनमें से 21 पर NDA बढ़त या जीत की स्थिति में है. इससे डॉ. यादव पार्टी के सबसे प्रभावशाली स्टार प्रचारकों में शुमार हो गए हैं.
डॉ. यादव ने दोनों चरणों में आक्रामक चुनाव प्रचार किया, जबकि मध्यप्रदेश बीजेपी के शीर्ष रणनीतिकार जो संगठनात्मक मजबूती के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जाने जाते हैं बूथ प्रबंधन से लेकर माइक्रो कैंपेन स्ट्रैटजी तक हर स्तर पर सक्रिय रहे.
NDA के मजबूत प्रदर्शन के बाद डॉ. मोहन यादव ने जनादेश को सलाम करते हुए कहा, “बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत के साथ खुद को अलग साबित किया है. हम सबसे अधिक सीटें जीतकर नंबर-1 पार्टी बने हैं. जेडीयू हमारा दूसरा सबसे बड़ा साथी है. कांग्रेस ने इस चुनाव में RJD को डुबो दिया. उनका सबसे बड़ा नेता चुनावी मैदान से समय से पहले ही बाहर हो गया और उसका नुकसान उनके गठबंधन को उठाना पड़ा. लोकतंत्र में जनता जो देती है वही सही होता है, इस जनादेश को स्वीकार करना चाहिए. NDA सरकार बिहार के विकास के लिए एक बार फिर तैयार है.”
डॉ. यादव ने जिन क्षेत्रों में दौरा किया उनमें शामिल हैं कदमकुआं, बिक्रम, हिसुआ, बगहा, सिकटा, सहरसा, कटोरिया, बांका, नाथनगर, आलमनगर, दीघा घाट, फुलपरास, फतुहा, बांकीपुर, मनेर, मधेपुरा, बिफ्सी, वजीरगंज, बेलहर, पिपरा, बोधगया, ढाका, चिरैया, नरकटिया और मोतिहारी.
इनमें से कई सीटों पर OBC मतदाताओं की बड़ी संख्या मौजूद है एक अहम फैक्टर क्योंकि बिहार में OBC आबादी ऊँची जातियों की तुलना में दोगुने से भी अधिक है.
राजनीतिक दिलचस्पी बढ़ाने वाला तथ्य यह भी रहा कि मध्यप्रदेश के दो पूर्व मंत्री जो 2020 के सियासी घटनाक्रम के केंद्र में थे ने भी बिहार में जोरदार प्रचार किया. दिग्विजय सिंह (कांग्रेस), शिवराज सिंह चौहान (बीजेपी).
बिहार की जाति जनगणना बताती है कि राज्य की 36% आबादी OBC की है, जिसमें अकेले यादव वोटर ही 14% से ज्यादा हैं. मध्यप्रदेश भी उन चुनिंदा बीजेपी-शासित राज्यों में से एक है जहां एक OBC नेता मुख्यमंत्री है. इसलिए बिहार की राजनीतिक हवा का असर मध्यप्रदेश की राजनीति पर भी प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है.
NDTV से दूसरे चरण के मतदान के बाद बातचीत में डॉ. यादव ने NDA के विकास मॉडल की तारीफ करते हुए कहा था, “माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में NDA लगातार जनता की सेवा कर रहा है. 2004-05 के बाद से जब से नीतीश कुमार ने कमान संभाली, बिहार में अद्भुत परिवर्तन आया है. बिहार के लिए ₹15 लाख करोड़ से अधिक की स्वीकृतियां मिल चुकी हैं. विकास की यह कारवां लाजवाब है.”
जब उनसे पूछा गया कि वे कितनी सीटों पर गए, तो मुस्कुराते हुए बोले, “इतनी बार गया हूँ कि गिनती भूल गया (हँसते हुए)… लेकिन माहौल हर जगह NDA के पक्ष में दिख रहा है.”
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें उत्तर भारत के यादव वोटरों को साधने के लिए मुख्यमंत्री बनाया गया, डॉ. यादव ने कहा था, “हमारी पार्टी जनता की पार्टी है. मोदीजी का ‘सबका साथ, सबका विकास' सिर्फ नारा नहीं, कार्रवाई है. बीजेपी उन कार्यकर्ताओं को भी मौका देती है जिनका कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं होता. कई राज्यों में ऐसे मुख्यमंत्री बने हैं जिनका परिवार राजनीति से कभी नहीं जुड़ा. यही असली लोकतंत्र है.”
मध्यप्रदेश बीजेपी के लिए बिहार का यह जनादेश उसकी OBC रणनीति को और मजबूत करता है और डॉ. मोहन यादव की राष्ट्रीय स्तर के प्रचारक के रूप में छवि को भी बढ़ाता है. जिन 26 सीटों पर उन्होंने प्रचार किया उनमें से 21 पर NDA की बढ़त ने साफ कर दिया है कि बिहार का यह परिणाम न सिर्फ बिहार बल्कि मध्यप्रदेश की राजनीतिक तस्वीर को भी प्रभावित करेगा.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं