सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिन संविधान के 103 वें संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता को बरकरार रखा. जिसका मतलब ये हुआ कि सामान्य वर्ग के लिए 10% EWS आरक्षण को भी बरकरार रखा गया है. अब बिहार सीएम नीतीश कुमार ने भी कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है. लेकिन इस दौरान उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अब जातिगणना हो जानी चाहिए. वहीं जो 50 फीसदी आरक्षण है, उसकी लिमिट को बढ़ाया जाना चाहिए, जो कि अच्छा होगा.
बिहार सीएम ने कहा कि हम बिहार में जातिगत जनगणना कर रहे हैं. इसी के साथ हम हर लोगों की आर्थिक स्थिति का भी आंकलन करेंगे. साथ ही किसकी क्या आबादी है, उसी आधार पर मदद तय होनी चाहिए, इसलिए हम जातिगत जनगणना को तवज्जों दे रहे हैं, ताकि लोगों की स्थिति में सुधार लाया जा सके. चाहे वो किसी बिरादरी, जाति का हो. आपको बता दें कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी जातिगत जनगणना पर जोर दे चुके हैं.
दस फीसदी EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग गई है संविधान पीठ ने 3: 2 के बहुमत से संवैधानिक और वैध करार दिया है. जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने बहुमत का फैसला दिया. वहीं सीजेआई ललित ने इसे असंवैधानिक करार दिया और वहीं जस्टिस एस रवींद्र भट्ट ने भी असहमति जताते हुए इसे अंसवैधानिक करार दिया. दोनों ने बहुमत के फैसले पर असहमति जताई है.
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