"2023 में होगा बड़ा किसान आंदोलन" :'साड्डा पंजाब' कॉन्क्लेव में बोले डॉ. दर्शन पाल सिंह

'साड्डा पंजाब' कॉन्क्लेव में पहुंचे कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने कहा कि किसान सिर्फ एक प्रदेश या देश में परेशान नहीं हैं. पूरी दुनिया का यही हाल है. अमेरिका तक में किसान कर्ज में ही जन्म लेते हैं और कर्ज में ही मर जाते हैं.

'साड्डा पंजाब' कॉन्क्लेव में किसानों की अहम समस्याओं पर बात हुई.

2023 में एक बड़ा किसान आंदोलन शुरू होने जा रहा है. 24 दिसंबर को इसे लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की एक बड़ी बैठक होने जा रही है. इसी बैठक में आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी. 'साड्डा पंजाब' कॉन्क्लेव में यह बात डॉ. दर्शन पाल सिंह ने एनडीटीवी को बताई. डॉ. दर्शन पाल सिंह ने कहा कि 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले ही देश भर के किसानों को इकट्ठा कर एक राष्ट्रीय आंदोलन खड़ा करने की तैयारी है. आंदोलन का मकसद एमएसपी पर कानून, फसल बीमा को किसानों के पक्ष में बनाने और किसानों पर चढ़े कर्ज की माफी होगी.

'साड्डा पंजाब' कॉन्क्लेव में पहुंचे कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने कहा कि किसान सिर्फ एक प्रदेश या देश में परेशान नहीं हैं. पूरी दुनिया का यही हाल है. अमेरिका तक में किसान कर्ज में ही जन्म लेते हैं और कर्ज में ही मर जाते हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत के 17 राज्यों के किसानों की आमदनी बीस हजार रुपये सलाना है. मतलब 1700 रुपये महीने. अब आप खुद ही सोचिए कि क्या 1700 रुपये में एक परिवार पूरे महीने अच्छे से रह सकता है. पंजाब को खेती में समृद्ध माना जाता है लेकिन, यहां का हर तीसरा किसान गरीबी रेखा के नीचे है. फिर भी पंजाब के किसानों को किसान आंदोलन के दौरान एक साजिश के तहत अमीर बताकर किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश की गई.

देवेंद्र शर्मा ने कहा कि आज तक किसानों के खिलाफ सिर्फ साजिश ही की गई हैं. आप देखें कि सभी सामान का एक दाम होता है, लेकिन किसान की फसल का कोई मूल्य ही तय नहीं होता. जब तक सरकार सभी किसान संगठनों और कृषि विशेषज्ञों को बैठाकर गंभीर बातचीत नहीं करती, तब तक किसानों की हालत नहीं सुधरने वाली. अब तक जितनी भी कमेटी बनी है, उसकी रिपोर्ट आने से पहले ही सभी को पता होता था कि रिपोर्ट में क्या आएगा? किसान चक्रव्यूह में अभिमन्यू की तरह फंसे हुए हैं.

किसान नेता हरमीत सिंह ने 'साड्डा पंजाब' कॉन्क्लेव में कहा कि किसानों पर बातें बहुत हुईं हैं, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं होता. पंजाब में आम आदमी पार्टी ने 1 लाख हेक्टेयर में मूंग की फसल उपजाने के लिए किसानों से अपील की. फसल आई तो किसानों ने कई तरह की शर्तें लगा दीं और खरीद नहीं की. नतीजा यह हुआ कि किसानों को मूंग की फसल व्यापारियों को बेचनी पड़ी और वह भी सरकार के घोषित एमएसपी से 95 प्रतिशत कम में. फसल के लिए पंजाब सरकार बीज तक उपलब्ध नहीं करा पाई. अब ऐसे में किसान अगली बार इनके कहने पर कैसे फसल उपजाएंगे? हरमीत सिंह ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा पूरे देश के किसानों के लिए लड़ रहा है. एमएसपी जरूरी है और इसमें कीमत सही तय होनी चाहिए.

केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई एमएसपी कमेटी के सदस्य गुणी प्रकाश ने 'साड्डा पंजाब' कॉन्क्लेव में कहा कि 13 दौर की वार्ता के बाद यह कमेटी बनी थी लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा के लोग इसमें शामिल ही नहीं हुए. एमएसपी का फार्मूला अगर किसी को पता है तो बता दे. दरअसल, किसानों के लिए सबसे बड़ा काला कानून तो आजादी के तत्काल बाद ही बन गया था. जरूरी वस्तु अधिनियम के तहत किसान को हक ही नहीं है कि वह अपनी फसल की कीमत तय कर सके. इस अधिनियम में यह साफ है कि उपभोक्ता के हित में और महंगाई को ध्यान में रखते हुए सरकार फसल की कीमत तय करेगी.

पंजाब के लोकप्रिय गायक हर्फ चीमा भी 'साड्डा पंजाब' कॉन्क्लेव में पहुंचे. हर्फ चीमा ने किसान आंदोलन से जुड़े अपने किस्से सुनाते हुए बताया कि ज्यादातर गीत किसान नेताओं के भाषणों पर ही लिखे जाते थे. 10-15 गीत तो उन्होंने खुद इसी तरह लिखे और यह गीत लोगों को काफी पसंद भी आए. कार्यक्रम के अंत में हर्फ चीमा ने किसानों से जुड़ा एक गीत भी सुनाया.

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