भीमा कोरेगांव मामला : वरनन गोंजाल्विस की जमानत याचिका पर SC जनवरी में करेगा सुनवाई

18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने NIA की विशेष अदालत से आरोपी वरनन गोंजाल्विस पर तीन महीने के भीतर आरोप तय करने को कहा था. कोर्ट ने NIA कोर्ट को निर्देश दिया था कि वह मामले में आरोपी द्वारा दायर आरोपमुक्ति आवेदनों पर एक साथ फैसला करें.

भीमा कोरेगांव मामला :  वरनन गोंजाल्विस की जमानत याचिका पर SC जनवरी में करेगा सुनवाई

भीमा कोरेगांव मामले में सुप्रीम कोर्ट आरोपी वरनन गोंजाल्विस की जमानत याचिका पर जनवरी के दूसरे सप्ताह में सुनवाई करेगा.  दूसरे आरोपी अरुण फरेरा की याचिका के साथ सुनवाई होगी.  18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने NIA की विशेष अदालत से आरोपी वरनन गोंजाल्विस पर तीन महीने के भीतर आरोप तय करने को कहा था. कोर्ट ने NIA कोर्ट को निर्देश दिया था कि वह मामले में आरोपी द्वारा दायर आरोपमुक्ति आवेदनों पर एक साथ फैसला करें. पीठ ने मामले में आरोपी गोंजाल्विस की जमानत याचिका पर विचार करते हुए यह निर्देश दिया था. पीठ ने NIA को भीमा कोरेगांव मामले में फरार अन्य आरोपी व्यक्तियों से एक्टिविस्ट गोंजाल्विस के मुकदमे को अलग करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने का निर्देश दिया.

पीठ ने NIA से फरार आरोपियों के लिए भगोड़ा अपराधी नोटिस जारी करने को भी कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने गोंजाल्विस की जमानत याचिका पर तीन महीने  के बाद सुनवाई करने को कहा था. अदालत 2019 के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली गोंजाल्विस द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी.  बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2019 में एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज, वरनन गोंसाल्वेस और अरुण फरेरा द्वारा दायर जमानत आवेदनों को खारिज कर दिया था.

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अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया सबूत हैं कि तीनों आरोपी CPI (माओवादी) के सक्रिय सदस्य थे, जो एक प्रतिबंधित संगठन है, और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम ( UAPA) की धारा 20 आकर्षित होती है. बेंच ने दलीलें सुनने के बाद पाया कि गोंजाल्विस को पहले प्रतिबंधित संगठन का हिस्सा होने के लिए दोषी ठहराया गया था. पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि सामान्य परिस्थितियों में जब किसी पर पहली बार आरोप लगाया जाता है तो हम उन्हें संदेह का लाभ देते हैं.  आपके मामले में आपको प्रतिबंधित संगठन का हिस्सा होने के लिए दोषी ठहराया गया है. आप निर्दोष व्यक्ति नहीं हैं.