दिल्ली नगर निगम चुनाव के बाद अब आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस तीनों ही एक दूसरे पर पार्षदों को तोड़ने का आरोप लगा रही है. कांग्रेस के 2 पार्षद और प्रदेश उपाध्यक्ष पहले आम आदमी पार्टी में शामिल हुए, फिर रातोंरात वो कांग्रेस में वापस आ गए. मेयर पद के चुनाव की घोषणा भले अभी नहीं हुई हो, लेकिन पार्षदों का जोड़-तोड़ शुरू हो चुका है. आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को अपने पार्षदों को बुलाकर कई राजनीतिक नसीहतें दी.
केजरीवाल ने कहा कि अभी से ही आप लोगों के पास फोन आने शुरू हो गए हैं. लोग खरीदने की कोशिश करना चाहते हैं, लेकिन आप तुरंत अपने विधायकों को इस बारे में बताना.
आम आदमी पार्टी के आरोपों पर बीजेपी ने भी हमला बोला. आनन-फानन में बीजेपी ने भी अपनी पार्षद मोनिका पंत के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस किया, और फिर इसकी शिकायत करने एंटी करप्शन ब्रांच गए.
दिल्ली बीजेपी के मीडिया प्रभारी हरीश खुराना ने आरोप लगाया कि शिखा गर्ग नाम की आप पार्टी की नेता मोनिका पंत के पास गईं, इसकी रिकार्डिंग मौजूद है. हम इसकी एसीबी से शिकायत करने जाएंगे.
दिल्ली नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी को 134, बीजेपी को 104 और कांग्रेस के 9 पार्षद जीते हैं. मेयर पद के लिए 126 वोट से ज्यादा चाहिए, लिहाजा सबसे ज्यादा जोड़तोड़ की शिकार कांग्रेस है. शनिवार को कांग्रेस ने अपने सभी 9 पार्षदों को मीडिया के सामने बुलाया. शुक्रवार को दिल्ली कांग्रेस के उपाध्यक्ष अली मेंहदी और दो पार्षदों ने आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर लिया था, लेकिन कुछ ही घंटे के बाद फिर ये लोग कांग्रेस में आ गए, और अब कांग्रेस के वफादारी की कसमें खा रहे हैं.
अली मेंहदी ने कहा कि जाफराबाद के विकास का फंड ज्यादा देने का वादा किया गया, जिससे मैं भावुक हो गया था. लेकिन अब मैं आम आदमी पार्टी में कभी नहीं जाऊंगा.
जिस वक्त कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस चल रही थी, लगातार कांग्रेस के नेताओं के फोन पर दूसरी पार्टियों के नेताओं के फोन आ रहे थे.
कांग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ ने बताया कि कुछ पुराने कांग्रेस नेता हैं जो अब आम आदमी पार्टी में चले गए हैं, उन्हीं के जरिए हम लोगों को तोड़ने की कोशिश हो रही है. मेरे पास लगातार प्रदीप साहनी के फोन आ रहे थे.
दिल्ली नगर निगम में पहले कचरे पर राजनीति, फिर चुनाव में हाई प्रोफाइल नेताओं का प्रचार और अब मेयर पद के लिए जोड़-तोड़, निगम जैसे स्थानीय चुनाव में राष्ट्रीय राजनीति के दांव-पेंच भी खेले जा रहे हैं.