बंगाल पीडीएस 'घोटाला': पूर्व मंत्री ज्योति प्रिय मल्लिक, दो अन्य से जुड़ी संपत्तियां कुर्क

ईडी ने एक बयान में कहा है कि कुर्क की गई संपत्तियों में विभिन्न व्यक्तियों और संस्थाओं की 48 अचल संपत्तियां शामिल हैं. इनमें बोलपुर के साल्ट लेक स्थित मल्लिक का घर, उनके करीबी सहयोगियों के नाम पर कई अन्य ‘बेनामी संपत्तियां’, कोलकाता और बेंगलुरु में रहमान के दो-दो होटल, विभिन्न बैंकों में जमा राशि सावधि जमा शामिल हैं.

बंगाल पीडीएस 'घोटाला': पूर्व मंत्री ज्योति प्रिय मल्लिक, दो अन्य से जुड़ी संपत्तियां कुर्क

नई दिल्ली:

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कहा कि उसने पीडीएस राशन ‘घोटाले' से जुड़े धनशोधन मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक और दो अन्य से जुड़ी 150 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की है. ये दो अन्य आरोपी मल्लिक के कथित सहयोगी- बकीबुर रहमान और तृणमूल नेता शंकर आध्या हैं. इस मामले में संघीय जांच एजेंसी ने तीनों को गिरफ्तार किया है.

ईडी ने एक बयान में कहा है कि कुर्क की गई संपत्तियों में विभिन्न व्यक्तियों और संस्थाओं की 48 अचल संपत्तियां शामिल हैं. इनमें बोलपुर के साल्ट लेक स्थित मल्लिक का घर, उनके करीबी सहयोगियों के नाम पर कई अन्य ‘बेनामी संपत्तियां', कोलकाता और बेंगलुरु में रहमान के दो-दो होटल, विभिन्न बैंकों में जमा राशि सावधि जमा शामिल हैं.

यह भी पाया गया है कि मल्लिक ने कथित तौर पर करोड़ों रुपये से अधिक की इन अचल संपत्तियों में से कुछ को अपने परिवार के सदस्यों या करीबी सहयोगियों के नाम पर ‘उपहार' के रूप में ‘प्राप्त' किया था. आध्या पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के अंतर्गत बनगांव से तृणमूल कांग्रेस के नेता हैं.

ईडी ने कहा कि इन संपत्तियों की दस्तावेजी कीमत 50.47 करोड़ रुपये है, जबकि इनका बाजार मूल्य 150 करोड़ रुपये से काफी अधिक होने का अनुमान है. मल्लिक, रहमान और ‘एनपीजी राइस मिल' नामक एक कंपनी के खिलाफ एजेंसी द्वारा पिछले साल दिसंबर में कोलकाता की एक अदालत के समक्ष आरोप पत्र दायर किया गया था.

इसने दावा किया है कि इस कथित घोटाले के माध्यम से 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की ‘अपराध की आय' उत्पन्न हुई थी, जिसकी जांच एजेंसी ने पश्चिम बंगाल पुलिस की कुछ प्राथमिकियों पर संज्ञान लेने के बाद शुरू की थी.

ईडी की शिकायत में आरोप लगाया गया है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से वितरण के लिए दिया जाने वाला राशन कुछ निजी व्यक्तियों के पास अनधिकृत रूप से पाया गया था और वे धान की फर्जी खरीद में भी शामिल पाए गए.

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ईडी ने दावा किया है कि आध्या के स्वामित्व वाली पूर्ण ‘मनी चेंजर' कंपनियों के माध्यम से भारतीय रुपये को विदेशी मुद्राओं में परिवर्तित करके आय की एक ‘बड़ी' राशि को दुबई और अन्य देशों में शोधित किया गया.



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)