पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
पाकिस्तानी सेना ने 1999 की गर्मियों से काफी पहले करगिल जैसे सैन्य अभियान की योजना बनाई थी, लेकिन उस समय देश की प्रधानमंत्री रहीं बेनजीर भुट्टो इस विचार के खिलाफ थीं। एक पूर्व राजनयिक की नई किताब में यह खुलासा किया गया है।
कराची में साल 1992 से 94 तक भारत के महावाणिज्य दूत रहे राजीव डोगरा ने अपनी नई किताब ‘व्हेयर बॉर्डर्स ब्लीड : एन इनसाइडर्स एकाउंट ऑफ इंडो-पाक रिलेशंस’ में दोनों देशों के बीच कई विवादास्पद मुद्दों के बारे में लिखा है।
इस किताब में करीब 70 साल के विवाद के ऐतिहासिक, कूटनीतिक और सैन्य दृष्टिकोणों को समाहित किया गया है जो विभाजन के घटनाक्रम पर रोशनी डालती है, उसके बाद के झगड़ों को दर्शाती है और लॉर्ड माउंटबेटन तथा मुहम्मद अली जिन्ना से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह जैसी शख्सियतों पर भी प्रकाश डालती है।
भारतीय विदेश सेवा के 1974 बैच के अधिकारी डोगरा संयुक्त राष्ट्र की रोम में आधारित एजेंसियों के भारत के स्थाई प्रतिनिधि रहने के अलावा इटली, रोमानिया, अल्बानिया और सैन मेरिनो में राजदूत रह चुके हैं। उन्होंने बेनजीर भुट्टो को 'उदार मिजाज' वाली महिला बताया और लिखा है कि बेनजीर की पश्चिमी शिक्षा ने उन्हें बाहरी दुनिया के साथ उनके रिश्ते में और अधिक स्वीकार्य बनाया।
डोगरा लिखते हैं, 'यह सच है कि वह निचले दर्जे की खुफिया गपशप से प्रभावित थीं, लेकिन यह भी सच है कि कुछ मौकों पर वह सेना के खिलाफ अपने रुख पर कायम रहीं। ऐसा होने की वजह से कम से कम उनके कार्यकाल में एक बार करगिल संघर्ष टल गया था।'
बेनजीर के एक इंटरव्यू का हवाला देते हुए डोगरा ने लिखा कि किस तरह बेनजीर ने इस तरह के अभियान के बारे में तत्कालीन डीजीएमओ मेजर जनरल परवेज मुशर्रफ के विचार को खारिज कर दिया था। मुशर्रफ ने पाकिस्तान के जंग जीतने और श्रीनगर पर कब्जा करने की संभावनाएं जताते हुए एक सुहानी सी तस्वीर पेश करने की कोशिश की, लेकिन बेनजीर ने इनकार कर दिया।
डोगरा के अनुसार बेनजीर की यह अभिव्यक्ति एक दुर्लभ घटना थी जिसमें किसी पाकिस्तानी नेता ने किसी सैन्य जनरल को इस तरह चेताया हो।
लेखक ने यह भी दावा किया कि जब तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ऐतिहासिक दिल्ली-लाहौर बस में सफर किया था तो उनका स्वागत करते समय पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पता था कि पाकिस्तानी सैनिक करगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जे का प्रयास कर रहे हैं।
रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक के मुताबिक, 'बस के करीब आते हुए नवाज शरीफ काफी असहज दिखाई दे रहे थे जब वह वाजपेयी से गले मिलने वाले थे। शरीफ का असहज दिखाई देना लाजमी था, क्योंकि पाकिस्तानी सैनिक पहले ही करगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जे के लिए पहुंच रहे थे।'
लेखक ने यह भी दावा किया कि तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पहले ही 1993 के मुंबई के श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों के बारे में पता था और उन्होंने दरअसल इसके लिए मंजूरी दी थी।
डोगरा का दावा है कि 1994 में कराची में मुलाकात के दौरान पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश ने इस बारे में उन्हें बताया था।
कराची में साल 1992 से 94 तक भारत के महावाणिज्य दूत रहे राजीव डोगरा ने अपनी नई किताब ‘व्हेयर बॉर्डर्स ब्लीड : एन इनसाइडर्स एकाउंट ऑफ इंडो-पाक रिलेशंस’ में दोनों देशों के बीच कई विवादास्पद मुद्दों के बारे में लिखा है।
इस किताब में करीब 70 साल के विवाद के ऐतिहासिक, कूटनीतिक और सैन्य दृष्टिकोणों को समाहित किया गया है जो विभाजन के घटनाक्रम पर रोशनी डालती है, उसके बाद के झगड़ों को दर्शाती है और लॉर्ड माउंटबेटन तथा मुहम्मद अली जिन्ना से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह जैसी शख्सियतों पर भी प्रकाश डालती है।
भारतीय विदेश सेवा के 1974 बैच के अधिकारी डोगरा संयुक्त राष्ट्र की रोम में आधारित एजेंसियों के भारत के स्थाई प्रतिनिधि रहने के अलावा इटली, रोमानिया, अल्बानिया और सैन मेरिनो में राजदूत रह चुके हैं। उन्होंने बेनजीर भुट्टो को 'उदार मिजाज' वाली महिला बताया और लिखा है कि बेनजीर की पश्चिमी शिक्षा ने उन्हें बाहरी दुनिया के साथ उनके रिश्ते में और अधिक स्वीकार्य बनाया।
डोगरा लिखते हैं, 'यह सच है कि वह निचले दर्जे की खुफिया गपशप से प्रभावित थीं, लेकिन यह भी सच है कि कुछ मौकों पर वह सेना के खिलाफ अपने रुख पर कायम रहीं। ऐसा होने की वजह से कम से कम उनके कार्यकाल में एक बार करगिल संघर्ष टल गया था।'
बेनजीर के एक इंटरव्यू का हवाला देते हुए डोगरा ने लिखा कि किस तरह बेनजीर ने इस तरह के अभियान के बारे में तत्कालीन डीजीएमओ मेजर जनरल परवेज मुशर्रफ के विचार को खारिज कर दिया था। मुशर्रफ ने पाकिस्तान के जंग जीतने और श्रीनगर पर कब्जा करने की संभावनाएं जताते हुए एक सुहानी सी तस्वीर पेश करने की कोशिश की, लेकिन बेनजीर ने इनकार कर दिया।
डोगरा के अनुसार बेनजीर की यह अभिव्यक्ति एक दुर्लभ घटना थी जिसमें किसी पाकिस्तानी नेता ने किसी सैन्य जनरल को इस तरह चेताया हो।
लेखक ने यह भी दावा किया कि जब तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ऐतिहासिक दिल्ली-लाहौर बस में सफर किया था तो उनका स्वागत करते समय पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पता था कि पाकिस्तानी सैनिक करगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जे का प्रयास कर रहे हैं।
रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक के मुताबिक, 'बस के करीब आते हुए नवाज शरीफ काफी असहज दिखाई दे रहे थे जब वह वाजपेयी से गले मिलने वाले थे। शरीफ का असहज दिखाई देना लाजमी था, क्योंकि पाकिस्तानी सैनिक पहले ही करगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जे के लिए पहुंच रहे थे।'
लेखक ने यह भी दावा किया कि तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पहले ही 1993 के मुंबई के श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों के बारे में पता था और उन्होंने दरअसल इसके लिए मंजूरी दी थी।
डोगरा का दावा है कि 1994 में कराची में मुलाकात के दौरान पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश ने इस बारे में उन्हें बताया था।
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